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33 वां नेत्रदान पखवाड़ा के तहत हुआ जनजागरूकता कार्यक्रम

ग़ाज़ीपुर। जीते जी रक्तदान मरणोपरांत नेत्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए 25 अगस्त से 8 सितंबर तक पूरे प्रदेश में 33 वां नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसको लेकर जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जीसी मौर्य और जिला कार्यक्रम प्रबंधक व जिला अंधता समिति डॉ डी पी सिन्हा एवं नेत्र सर्जन डॉ धर्मेंद्र के द्वारा जनजागरूकता कार्यक्रम किया गया।

यह पखवाड़ा राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य दृष्‍टिहीनों की पहचान और उनका इलाज करके दृष्‍टिहीनता के मामलों को कम करना, जिलें में नेत्र देखभाल सुविधाएं विकसित करना, नेत्र देखभाल सेवाओं के लिए मानव संसाधन विकसित करना, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता में सुधार लाना, नेत्र देखभाल में स्‍वैच्‍छिक संगठनों की भागीदारी सुनिश्‍चित करना एवं नेत्र देखभाल में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना है।प्रभारी नोडल अधिकारी डॉ डीपी सिन्हा ने बताया इस पखवाड़े में नेत्रदान से संबंधित जानकारी और प्रचार-प्रसार का कार्यक्रम प्रतिदिन सभी सीएचसी व पीएचसी पर किया जाएगा। इसी क्रम में सोमवार को जिला अस्पताल में नेत्र सर्जन डॉ धर्मेंद्र कुमार, नेत्र परीक्षण अधिकारी शंभू शरण सिंह एवं अंबिका यादव के द्वारा जनजागरूकता का कार्य किया गया। उन्होंने बताया जनपद में शाह आई बैंक वाराणसी के द्वारा मानव सेवा संघ गोरा बाजार ने साल 2000 से अब तक 19 कार्निया का कलेक्शन किया है।
उन्होंने बताया कार्नियल, अन्धेपन के बचाव व अच्छी दृष्टि के लिए आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है। एक सर्वे में यह पाया गया कि छोटे बच्चे अक्सर कार्नियल नेत्रहीनता के शिकार होते है। कार्नियल नेत्रहीनता का उपचार केवल किसी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उसकी ऑख के कॉर्निया को खराब कार्निया वाले मरीज की ऑख में लगा देने से हो सकता है और उसकी ऑख की रोशनी वापस लाई जा सकती है। उसका अंधापन दूर किया जा सकता है। इसे नेत्र प्रत्यारोपण भी कहते है। उन्होने बताया नेत्रदान सिर्फ मरणोपरांत ही किया जाता है। किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार शोकाकुल होता है ऐसी मुश्किल घड़ी में नेत्रदान करना जटिल होता है। ऐसे में समाज के लोग, समाज सेवी, अन्य प्रतिनिधि अहम भूमिका निभा सकते है।