गहमर। मोहर्रम का महीना इस्लाम धर्म में गम के महीने के रूप में मनाया जाता है। मोहम्मद साहब के नवासे की शहादत की वजह से इस्लाम धर्म मे मोहर्रम दुख का पर्व होता है मोहर्रम का यह पर्व स्थानीय गांव में भी मनाया जा रहा है। गाव के तीन जगहों से मोहर्रम का ताजिया निकाल कर मुस्लिमों द्वारा जगह-जगह इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाया गया तथा नौहाखानी की गई।
गंगा जमुनी तहजीब एवं देशभक्ति से सराबोर न्यू अंजुमन कमेटी द्वारा बनाई गई ताजिया लोगों में खासा चर्चा का विषय बनी हुई है इस ताजिए का निर्माण अंजुमन कमेटी के सदस्यों ने तिरंगे के रूप में किया है इस कमेटी एक खास विशेषता है कि पिछले 60 वर्षों से यहां के ताजिए के निर्माण में मुसलमानों के साथ साथ हिंदू भाइयों का भी भरपूर सहयोग रहता है। इतना ही नहीं अपने मुस्लिम भाइयों के साथ साथ हिंदू भाई भी मातम करते हैं। ग्राम प्रधान मीरा चौरसिया के संरक्षण में बने यह ताजिया पूरे गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है। कमेटी के अध्यक्ष मतलूब अंसारी ने बताया कि हमने तिरंगे के रूप में ताजिए का निर्माण कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि इस देश के प्रत्येक मुसलमानों के अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी है । मोहर्रम के इस पर्व को शांतिपूर्वक संपन्न कराने को लेकर प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार सिंह द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं स्वयं प्रभारी निरीक्षक गांव का चक्रमण कर पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।