गाजीपुर। 1965 के भारत पाक युद्ध के नायक परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद का 54वॉ शहादत एवं उनकी पत्नी वीर नारी स्व0 रसूलन बीबी की श्रद्धांजलि के अवसर उनके पैतृक गॉव धामूपुर में बड़ा कार्यक्रम का आयोजन वीर अब्दूल हमीद ट्रस्ट एवं नेहरू युवा केन्द्र एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से हुआ।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में दूर-दूर से शहीद की शहादत में लोगो ने शिरकत किया। सेना की तरफ से व्रिगेडियर अब्दुल हमीद एवं उनकी पत्नी रसूलन वीवी का मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। स्वागत गीत प्रज्ञा प्रिय दर्शी एवं श्वेता शर्मा ने प्रस्तुत किया। व्रिगेडियर कुवर विरेन्द्र सिंह ने कहा कि देश की रक्षा में दुश्मनों के दात खट्टे करने वाले वीर अब्दुल हमीद की धरती को मैं नमन करता हूॅ। देश की सीमाओं पर शहीद होने का जो जज्बा यहॉ है उसे मै सलाम करता हूॅ। 1965 की लड़ाई में अमेरिकी अजेय पैटर्न टैकों को तोड़ना दुरूह कार्य था। यह वीर अब्दुल हमीद के अद्म्य साहस एवं रण कौशल का ही परिणाम था कि वे सात टैकों को तोड़कार युद्ध की दिशा बदल दी। फल स्वरूप उस युद्ध में भारत विजयी हुआ। इस तरह कार्य काने का संकल्प सभी को लेना चाहिए। उन्होने गाजीपुर के आर्मी कैन्टीन के सम्बन्ध में कहा कि तकनीकी कारणों के कारण ऐसा हुआ है उसे शीघ्र खोलने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होने बताया कि आर्मी द्वारा एक सैनिक स्कूल गाजीपुर में खोलने के प्रस्ताव पर कार्यवाही चल रही है। मै सांसद से भी चाहूगॉ की वे अपने स्तर से भी इस दिशा में प्रयास करें। उन्होने कहा कि वीर अब्दुल हमीद की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल की जाय। सांसद अफजाल अंसारी ने वीर अब्दुल हमीद एवं उनकी पत्नी को श्रद्धांजलि के पश्चात् भारी भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि इस शहीद वीर अब्दुल हमीद के मातृ भूमि को नमन कर रहा हूॅ। शहीद परिवार ने इस देश व समाज के लिए बहुत कुछ दिया है। अब बारी है समाज को उनके लिए कुछ करने की। उन्होने सेना के सराहनीय प्रयास की सराहना की । गाजीपुर शहीदों की धरती है जब-जब देश की सीमाओं पर खतरा मड़राया हैं यहॉ के रणबाकुरों ने कुर्बानी देकर मातृभूमि का कर्ज चुकाया है। कार्यक्रम संयोजक जमील आलम के अनुरोध पर सांसद ने वार म्यूजियम एवं स्टेडियम बनाने की घोषणा की। इस अवसर पर जिलाधिकारी के0बालाजी, पुलिस अधीक्षक डा0 अरविन्द्र चतुर्वेदी, मुख्य विकास अधिकारी हरिकेश चौरसिया ने माल्यार्पण किया।