ग़ाज़ीपुर। पोषण माह के अंतर्गत यह पूरा सप्ताह किशोरी सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान किशोरियों को खून की कमी यानि एनीमिया दूर करने हेतु शासन के द्वारा देशी घी के साथ ही गुड़ और चना दिया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं के साथ ही कुपोषित बच्चों एवं एनीमिया से ग्रसित किशोरियों में खून की कमी को दूर करने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला इन दिनों लगा हुआ है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पाण्डेय ने बताया शरीर में खून की कमी हो जाना एक आम समस्या है जिसे यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। कई बार कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए गुड़ और चना खाना पसंद करते हैं। लेकिन इसके अलावा गुड़ और चना एनीमिया रोग को दूर करने में काफी मददगार साबित होता है।
रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाला एनीमिया रोग ज्यादातर महिलाओं और किशोरियों में देखने को मिलता है। खास तौर से आयरन की कमी के कारण यह समस्या सामने आती है जिसमें थकान, चिड़चिड़ाहट और कमजोरी महसूस होना आम बात है। ऐसे में महिलाओं को अपनी डाइट में आयरन से भरपूर आहार लें ताकि हीमोग्लोबिन का स्तर कम न हो। गुड़ और चना खाने से आयरन अधिक मात्रा में मिलता है। गुड़ में उच्च मात्रा में आयरन होता है और भुने हुए चने में आयरन के साथ-साथ प्रोटीन भी सही मात्रा में पाया जाता है। इस तरह से गुड़ और चने को मिलाकर खाने से पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है।
जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने बताया गुड़ और चना एनीमिया से बचाने का काम करता है साथ ही शरीर में आवश्यक उर्जा की पूर्ति भी करता है। शरीर में आयरन अवशोषित होने पर ऊर्जा का संचार होता है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस नहीं होती। हालांकि अत्यधिक मात्रा में भी इसका सेवन आपके भोजन की आदत को प्रभावित कर सकता है इसलिए इसे नियमित रूप से और नियत मात्रा में खाना अधिक फायदेमंद रहता है। उन्होने बताया इस वर्ष मार्च से जून तक स्कूल न जाने वाली 6,453 किशोरियों को चिन्हित किया गया जिसमें 4,022 एनीमिक पाई गई। वहीं अगस्त और सितम्बर माह में 422 किशोरियों में खून की कमी देखी गई।नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस-4) 2015-16 के आंकड़े के अनुसार जनपद में 15 से 49 साल के मध्य उम्र वाली 55.2% गर्भवती महिलाए एनीमिक हैं जबकि जनपद की 15 से 49 साल के मध्य सभी महिलाएं 61.9% एनीमिक हैं।