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कुपोषण दूर करने का घरेलू उपाय सबसे बेहतर-डीपीओ दिलीप कुमार पांडे

ग़ाज़ीपुर। जनपद सहित पूरे प्रदेश को कुपोषण से मुक्ति को लेकर सरकार पूरी तरह से कमर कस चुका है। इसके लिए सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है जिसको लेकर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा जनपद में प्रतिदिन गतिविधियां की जा रही हैं। जनसमुदाय को कुपोषण के लक्षण और उसके बचाव व उपायों के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिलीप कुमार पांडे ने बताया कुपोषण से शरीर थका हुआ महसूस होता है, आंखे धंसी होती हैं, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी सिस्टम कमजोर रहता है। इसके अलावा उनकी त्वचा और बाल रुखे रहते हैं। मसूड़ों में सूजन, दांतो में सड़न, पेट फूलना, ज्यादा रोना, चिड़चिड़ापन और मांस पेशियों में दर्द होना भी इसके लक्षण हैं। अगर कुपोषण गंभीर परिस्थिति में पहुंच जाए तो उससे हड्डियों-जोड़ों में दर्द, हड्डियों का दिखना, मांसपेशियों में कमजोरी, नाखूनों का अपने आप टूटना, बालों का झड़ना और अचानक से रंग बदलना, भूख का ना लगना, बच्चों का बिना किसी वजह के रोना जैसे लक्षण दिखते हैं।
कुपोषण से बचने के कुछ घरेलू उपाय
डीपीओ ने बताया रात को 50 ग्राम किशमिश पानी में भिगो कर रख दें और सुबह इसे अच्छी तरह से चबाकर खा लें। इस प्रक्रिया को 2-3 महीने नियमित तौर पर करने से तीन महीने में ही कुपोषण मुक्त हो जाएंगे और वजन में बढ़ोतरी होगी। खाने में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन युक्त खाद्य पदार्थों की मात्रा को बढ़ाएं। दालें प्रोटीन का सबसे अच्छा श्रोत होती हैं इसलिए अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा दालों को जगह दें। दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन करने से भी आप कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ सकते हैं। इसके लिए रोजाना 300 से 500 मिली लीटर दूध पीना पिएं।
इसके अलावा गर्भवती महिलायें अपने खाने में सहजन का उपयोग करें, इससे सेहत में काफी सुधार होता है। रोजाना अखरोट खाने से वजन बढ़ने में मदद मिलेगी। इसमें मौजूद मोनो सैचुरेटिड फैट सेहत के लिए फायदेमंद होती है। रोजाना 100 से 200 ग्राम भुने हुए चने और गुड़ खाने से भी कुपोषण को मात दे सकते हैं। अंकुरित चना भी बहुत लाभदायक है। कैल्शियम और आयरन की गोलियां नियमित खाने से शरीर को लाभ मिलता है। सरकारी अस्पताल में अपनी स्वास्थ्य जांच कराकर निःशुल्क दवा प्राप्त कर सकते हैं।
सीडीपीओ कासिमाबाद अरुण दुबे ने बताया ग्रामीण इलाकों में बहुत से ऐसे कुपोषित परिवार हैं जो गरीबी के कारण पोषक तत्वों से भरे सामान बाजार से खरीदने में सक्षम नहीं है। ऐसे में लोग हरी साग-सब्जी सहजन, गुड़ और चना का प्रयोग कर कुपोषण को दूर कर सकते हैं।
कुपोषित बच्चों के आंकड़े के बारे में बताते हुए जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने बताया जनपद में 3 से 5 साल के 41.4% बच्चे कम लंबाई वाले, 4 से 5 साल के 17.5% बच्चे बौने हैं , 5 वर्ष से कम उम्र के 7.6% बच्चे अति कुपोषित हैं वहीं 5 वर्ष से कम उम्र के 41.7% बच्चे सापेक्ष वजन से कम हैं।