Skip to content

विशेष कारण से शुरू हुआ अरंगी गाँव में रामलीला

कन्दवा(चन्दौली)। क्षेत्र के अरंगी गांव की रामलीला का अपना अलग स्थान और विशेषता है । अरंगी की रामलीला की मुख्य विशेषताओं में सभी पात्रों का गांव का होना है।इस वर्ष की राम लीला 28 सितंबर से राम -रावण जन्म से शुरू होगी ।
अरंगी गांव की रामलीला के शुरू होने के पीछे क्षेत्र में एक कहानी प्रचलित है ।कहा जाता है कि गांव के राधाकृष्ण सिंह को कोई संतान नहीं थी। जैसे जैसे समय बीत रहा था उसी तरह राधाकृष्ण सिंह की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। एक दिन उन्होंने अपनी परेशानी गांव के ही पंडित राम अधार पांडेय को बतायी। काफी सोच विचार कर उन्होंने कहा कि अगर आप गांव में रामलीला कराएं तो आपको पुत्र अवश्य पैदा होगा ।राम अधार पांडेय की बात को मानकर राधाकृष्ण सिंह ने 1946 में गांव के नवयुवकों के सहयोग से रामलीला की शुरुआत करायी।शुरुआती दौर में रामलीला केवल 3 दिनों तक ही होती थी। रामलीला शुरू होने के एक वर्ष बाद ही राधाकृष्ण सिंह को एक पुत्र हुआ। जिसका नाम लीलाधर सिंह रखा गया। पुत्र पैदा होने के बाद राधाकृष्ण सिंह गांव वालों से मिलकर रामलीला 15 दिनों तक कराने का निर्णय लिया । बड़े बुजुर्गों द्वारा चलायी गई रामलीला के आयोजन की परम्परा गांव के नवयुवकों द्वारा आज भी लीलाधर सिंह के नेतृत्व में होती चली आ रही है। इस रामलीला में मुस्लिम समुदाय के लोग भी काफी उत्साह से भाग लेते हैं । रामलीला समिति के अध्यक्ष वयोवृद्ध दिवाकर पांडेय ने बताया कि जब रामलीला शुरू हुई थी तो उस समय पात्रों की साज सज्जा का काम लल्लन सिंह ने किया था और व्यास की भूमिका श्रीनिवास द्विवेदी ने निभाया था ।वहीं शांति व्यवस्था का जिम्मा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रामदेव सिंह ने ली थी ।