जमानियाँ। स्थानीय स्टेशन बाजार स्थित हिन्दू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में अपने महाविद्यालय के पुरातन छात्र व आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता दिलीप पाण्डेय का स्वागत व सम्मान समारोह का आयोजित किया गया।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि दिलीप पांडेय का माल्यार्पण किया गया तत्पश्चयात महाविद्यालय के प्रबंधक लछिराम यादव ने अंगवस्त्रम् व हीरालाल उपाध्याय ने स्मृति चिह्न व सौरभ साहित्य परिषद के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह ने सम्मान पत्र भेंट किया।
कार्यक्रम के राजहंस दिलीप पाण्डेय ने कहा कि हमारी मिट्टी की ही खुशबू हमें यहाँ खींच कर लाती है और यही पलने व बढ़नें के कारण अपनी मिट्टी को मैं भूल नहीं पाता। मैं अपने गुरू जी लोगों का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे इस योग्य बनाया।अपने घर व अपने कॉलेज में सम्मान पाना हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने आगे कहा कि यह समाज स्त्री व पुरुष से बना है, स्त्री व पुरुष को बॉटने से समाज बट जाता हैै तथा समाज में विकृतियां आ जाती हैं। स्त्री घर के लिए व पुरुष बाहर के लिए नहीं होता हैै,बल्कि दोनों को मिलकर कार्य करने से समाज का रचनात्मक विकास हो सकता हैै। उन्होंने 7 से 14 वर्ष आयु वर्ग को लेकर लिखी अपनी किताब टपकी और बूंदी के लड्डू सहित दहलीज पर दिल, खुलती गिरहें, कॉल सेंटर की प्रतियां महाविद्यालय पुस्तकालय को प्रदान किया और कहा कि इस वर्ग के बच्चों के लिए हिंदी साहित्य का अभाव हो गया है। मोबाइल की दुनिया से बच्चों को बाहर निकालना होगा तभी बच्चों का समुचित मानसिक विकास हो सकेगा।इंटनेट पर मित्रता करने से अच्छे मित्र नहीं बनते बल्कि खेल व शिक्षा ग्रहण करते हुये जो अन्तरंग मित्रता होती है वही सच्ची मित्रता होती है जो सुख व दुःख में बराबर का भागीदार होता है। बच्चों को बुनियादी शिक्षा व शिक्षाप्रद कहानियों से जोड़ने की आवश्यकता हैै मैं सियासत में रहूँ या न रहूँ, लेखनी अनवरत चलती रहेगी।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार राजेन्द्र सिंह ने कहा कि अपने पूर्व छात्र का सम्मान करना महाविद्यालय के लिए गर्व की बात है। व्यक्ति का सम्मान नहीं बल्कि उसके कर्मो का सम्मान होता है।शिक्षा व्यक्ति के चरित्र निर्माण के लिए होती है।शिक्षक अपने विद्यार्थी को आगे बढ़ते देखता है तो उसका सीना चौड़ा हो जाता है यही एक सच्चे शिक्षक का सपना होता है कि उसका शिष्य निरन्तर आगे बढ़े। श्री सिंह ने कहा कि आप में नेता व साहित्कार दोनों का गुण विद्यमान हैं। साहित्कार अपने स्वच्छन्द मन से लेखनी चलाता है तो क्रान्ति का बीज बोता है व नेता ईमानदारी से कार्य करता है तो देश उन्नति के पथ पर चलता महान बनता हैै।
महाविद्यालय की पूर्व छात्रा दिव्यलता शर्मा ने दिलीप पांडेय की स्त्री विमर्श पर लिखी पुस्तक खुलती गिरहें की सटीक एवं सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत कीं। वकौल दिव्यलता शर्मा दिलीप पांडेय और चंचल शर्मा द्वारा संयुक्त रूप में लिखित खुलती गिरहें मूलतः स्त्री के निर्णय के अधिकारी को लेकर लेकर लिखी गई सफल औपन्यासिक कृति है। इसे धर्मवीर भारती के सूरज का सातवां घोड़ा नामक उपन्यास की परंपरा का उपन्यास माना जा सकता है। इस उपन्यास में पांच स्त्रियों की पांच कहानियां हैं। इसमें स्त्री पुरुष को सहयोगी कर रूप में दिखाया गया है। पांचों स्त्रियां अपने जीवन एवं मूल्यों से टकराती हैं, बिखरती हैं पर पर उठने का भी माद्दा रखती हैं। पांचों स्त्रियों के जीवन में तूफान तो आते हैं परंतु अन्तोगत्वा सब कुछ सकारात्मक गति से शांत भी हो जाता है और एक सुखद अंत हो पाता है। यह पुस्तक यह विश्वास दिलाती है कि स्त्रियां भी अपने जीवन के अहम निर्णय ले सकती हैं और सफल भी हो सकती हैं। रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष अरुण कुमार ने दिलीप पांडेय के छात्र जीवन से अब तक के सफर पर प्रकाश डाला।
समारोह में इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संजय कुमार सिंह,सांख्यिकी अधिकारी वाराणसी ज्ञानोद कुमार, होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ सुरेश राय,शिक्षक उमाशंकर सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबन्धक लछि राम सिंह यादव, शिक्षाविद राजाराम शास्त्री, प्रबंधाधिकरण के सदस्य रविन्द्र सिंह यादव, डॉ विजय श्याम पांडेय, मनोज कुमार सिंह, समाजसेवी रमेश सिंह,शिक्षक मिथिलेश सिंह, हृदयेश सिंह, मुन्ना सिंह, प्रमोद पाण्डेय, कुलवन्त सिंह, रविशंकर तिवारी आदि लोग मौजूद रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता हीरालाल उपाध्याय व संचालन हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने किया।