गाजीपुर। गंगा की अविरल एवं निश्चल धारा के लिए देश में तमाम संगठन अपने-अपने तरीके से इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं इन सबके बीच वेस्टइंडीज के रहने वाले जिम्मी शेख भी गंगा सफाई की जनजागरूकता को अपने तरीके से जनमानस के बीच पहुँचा रहे हैं।
जिम्मी पेशे से ग्राफिटी वाल पेंटर हैं। दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में ग्राफिटी वाल पेंटिंग जिम्मी ने बनाई है। अपने पेशेगत व्यवस्तता से समय मिलते ही जिम्मी ऋषिकेश आ जाते हैं। फिर वहाँ से भारत के गंगा के किनारे बसे शहरों में जाकर वाल पेंटिंग करते हैं। पिछले वर्ष जिम्मी ने बनारस की गलियों में कुछ जगहों पर वाल पेंटिंग की। लेकिन उनकी दिली इच्छा है कि उन्हें स्थानीय प्रशासन से अनुमति मिले कि वे गंगा घाटों पर अपने वाल पेंटिंग का हुनर प्रदर्शित कर सके। जिम्मी बताते हैं कि ग्रैफिटी में इस्तेमाल किया जाने वाला पेंट वह विदेशों से आयात करते हैं और इसमें किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्था से कोई योगदान नहीं लेते। वह पिछले दिनों दिल्ली के पहाड़गंज की दिवारों पर ग्राफिटी पेंटिंग बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। जिम्मी के पूर्वज भारत से थे जो गिरमिटिया मजदूर के तौर पर वेस्टइंडीज जा बसे। जिम्मी बताते हैं कि ग्राफिटी पारंपरिक पेंटिंग कला से बिल्कुल भिन्न है और इसके लिए उन्होंने कोई औपचारिक पढ़ाई नहीं की। अपने कालेज के दिनों में फ्रांस की सड़कों और दिवारों पर ग्राफिटी बनाते हुए उन्होंने इस कला में दक्षता पाई है। जिम्मी का मानना है कि ग्राफिटी स्ट्रीट आर्ट है और इसके लिए औपचारिक रूप से इस कला को सिखाने वालों की कमी है। उनकी मंशा है कि भारत में वह एक ग्राफिटी आर्ट स्कूल खोले जहां युवाओं को औपचारिक रूप से यह कला सिखायी जा सके। गंगा के किनारे बसे शहरों के घाटों को रंगने के क्रम में जिम्मी जल्द ही गाजीपुर आएंगे। स्थानीय प्रशासन से अनुमति मिलने पर जनपद के कुछ घाटों के समीप अपने ग्राफिटी आर्ट को बनाएंगे। एक तरफ जहां गंगा को लेकर सरकारी दावे और वादे नाकाफी साबित हो रहे हैं वहीं जिम्मी की यह पहल काबिले तारीफ है।