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माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है-राजू सिंह

मरदह।अति प्राचीन रामलीला कमेटी मरदह कुटी के नेतृत्व में मंगलवार की रात भरत मिलाप व राज्याभिषेक का लीला धूमधाम व हर्षोउल्लास से किया गया।

इस अवसर पर पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का चौदह वर्ष के वनवास के उपरान्त अध्योया वापसी पर राजगद्दी दिया गया।मुकुट व तिलक लगाकर विधिवत आरती-पूजन हुआ।विशेष आरती के अवसर प्रधान प्रतिनिधि राजू सिंह ने कहा माता पिता की सेवा कर जीवन को धन्य बनाएं प्रभु श्रीराम के आदर्शो का अनुकरण  मनुष्य को सत्यमार्ग पर ले जाता है।उन्होंने कहा कि समाज में परिवार बड़ी तेजी से टूट रहे हैं इसका प्रमुख कारण अपने संस्कारों से भटकना है।परिवार में बुजुर्गों का सम्मान देखने को कब मिल रहा है।माता पिता की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है।और ना ही कोई तीर्थ स्थल है।मर्यादा पुरुषोत्तम कि तरह  संस्कार और त्याग होना चाहिए समाज में नशा को कोढ बताते हुए  कहा कि आज हम सबका समाज नशा के कारण पूरी तरह से ग्रसित होता जा रहा है इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को नशा से मुक्ति के लिए संकल्प लेना चाहिए नशा परिवार के साथ समाज को तोड़ रहा है।मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलकर समाज के प्रति अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया जाए तो सुंदर,समृद्ध समाज तथा मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव है।साम्प्रदायिक सौहार्द के साथ सभी त्यौेहार मनाते रहें।आगे कहा कि प्राचीन काल से चली आ रही श्रीरामलीला का मंचन सिर्फ देखने व मनोरंजन मात्र का विषय नहीं है बल्कि गोस्वामी तुलसी दास जी ने इस रामलीला का मंचन इसलिए आरम्भ कराया था कि हम मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम से लेकर रामायण के अन्य सभी महापुरूषों के जीवन चरित्र का सूक्ष्मता से अवलोकन कर विचार करें तथा उससे प्रभावित होकर उनके जीवन चरित्र को अपने जीवन में उतारते हुए परिवार व समाज में हम भी वैसा ही आचरण करें।

इस अवसर पर प्रेेमनरायण सिहं, रणधीर सिंह, सुरेन्द्र राजभर, यशवंत सिहं, शशीप्रकाश, शशीकांत, निंधन, लल्लन, श्रीकांत, पप्पू, बलवंत, नीरज, अंकित, ओमकार, पियूष, अभय, अनिल, रविप्रताप, लालबाबू, जयराम, त्रिलोकीनाथ, सत्यम, आर्यन, मनीष, गुड्डू, राजेश वर्मा, नगीना मौर्य, दीनानाथ, हीरालाल, बंटी आदि लोग मौजूद रहे।