Skip to content

मनुष्य का जीवन परोपकार और सेवा के लिए मिला है-संत दयाराम दास

जमानिया। क्षेत्र के रघुनाथपुर में आयोजित मानव धर्म प्रसार प्रवर्तन समाज सेवी संस्था के तैतीसवें वार्षिक सम्मेलन के समापन पर बोलते हुए संत दयाराम दास ने कहा कि यह संसार दुखमय हो या सुखमय, सांसारिक कर्म जब छूटते हैं नहीं तो,तब उनके सुख-दुख का विचार करते रहने से कुछ लाभ प्राप्त नहीं होगा।

चाहे सुख हो या दुख, मनुष्य का यही कर्त्तव्य है,कि वह इस बात में अपना महद्भाग्य समझे,कि उसे नरदेह प्राप्त हुई है और मनुष्य का जीवन परोपकार के लिए और सेवा के लिए मिली है ।भोग तो अन्यान्य देहधारी भी कर लेते हैं। समर्थवान न्याय हासिल कर लेता है परन्तु कमजोर को भी न्याय मिले,सम्मान मिले, इसके लिए जो लोग प्रयत्नशील हैं वही सच्चे अर्थों में मानव हैं और मानव कहलाने के योग्य हैं। सम्मेलन में संत राघवाचार्य राहुल महाराज ने कहा कि जीवन में अगर सत्य नहीं आएगा तो धर्म का पालन नहीं हो सकता सत्यवान के ही हृदय में भगवान वास करते हैं जीवन में सत्य ही मूल है इसको हटा देने से जीव को सफलता नहीं मिलती कथा में राधेश्याम चौबे शिवजी महाराज, जयप्रकाश,बुच्चा यादव,चंद्रेश महाराज,अमीन साहब , परमहंस और अन्य विद्वानों ने भी विचार व्यक्त किए।संत शिरोमणि गंगाराम दास जी के द्वारा दिए गए सत्य,न्याय और धर्म के मिशन को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ सम्मेलन सम्पन्न हुआ रात्रि में आदर्श रामलीला समिति की तरफ से रामराजा अभिषेक का मंचन हुआ जिसे देखकर श्रद्धालु भावविभोर हुए और अंत में श्रद्धालुओं ने भंडारा में महाप्रसाद ग्रहण किया । कथा मंच का संचालन सुखपाल ने किया।