जमानिया।क्षेत्र के देवरिया स्थित सिद्धेश्वरी शक्ति पीठ में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम के चौथे दिन की कथा में पं. चंद्रेश महाराज ने कहा कि संसार में रहकर हम चाह कर भी कर्म से विरत नहीं हो सकते।
घर परिवार छोड़ कर जंगल में चले जाएं तो भी कोई न कोई कर्म में हमारा शरीर और शरीर नहीं तो मन कर्म से आबद्ध हो ही जाएगा।कर्म ही जीव के अगले जन्म लेने में कारण रुप हो जाता है। कहने का तात्पर्य यह कि कर्म के आधार पर ही हमें अगला शरीर प्राप्त होता है। यदि कर्म फल की कामना से रहित हो , भगवान को समर्पित कर के कुछ भी किया जाए तो फिर उस किये गये कर्म का फल हमको भोगना नहीं पड़ता। जैसे कि भूने हुए बीज का जमाव नहीं होता वैसे ही भगवान को समर्पित कर्म के परिणाम की जिम्मेवारी भगवान पर हो जाती है ,कर्ता पर नहीं। आयोजन में संत विश्राम दास, बुच्चा महाराज, राही जी और विनोद श्रीवास्तव ने भी कथा अमृत का पान कराया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।