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आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार रहे किसान-किसान नेता रतन सिंह

कंदवा(चन्दौली)।पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ साथ जमीन कि उर्वराशक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है यह सभी किसान जानते हैं। लेकिन इसके प्रोत्साहन के लिए सरकारी अनुदान व प्रोत्साहन राशि नाकाफी है।देश में मन्दी के नाम पर उद्योगपतियों को टैक्स में लाखों करोड़ों की छूट दी जा सकती है लेकिन किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी दो सालों में पराली प्रबंधन के लिए 650 यूनिट के सापेक्ष मात्र 15 -16 यूनिट की ही स्थापना की गई है।जो पूरे चन्दौली जनपद के 10 प्रतिशत क्षेत्रफल को भी निष्पादित नहीं कर सकते हैं।ऐसे में किसानों को संसाधन व प्रोत्साहन देने कि जरूरत है।किसान सविनय अवज्ञा आंदोलन की तर्ज पर आर- पार की लड़ाई के लिए तैयार रहे।उक्त बातें मंगलवार की दोपहर प्रगतिशील किसान नेता रतन सिंह ने बरहनी में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा।
उन्होंने कहा कि हजारों करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान के बाद भी गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सका है।और न ही गंगा को प्रदूषित करने वाले औद्योगिक इकाईयों पर ही कोई कारवाई हुई है और न ही औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाले प्रदूषित धुएं पर रोक लगा है।जबकि पर्यावरण संरक्षण के लिए किसान ही वृक्ष लगाने का काम करते हैं और जल संरक्षण के लिए तालाब खुदवाने का काम भी करते हैं।लेकिन एसी में रहने वाले और एक बार पेशाब करने के बाद दस लीटर पानी फ्लैश करने वाले लोग जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण पर उपदेश देते हैं जो बड़ा ही हास्यास्पद है।इस दौरान राजेश सिंह,धर्मेन्द्र प्रताप सिंह,अरुण सिंह,पवन जनसेवक,गौरव सिंह आदि लोग मौजूद रहे।