सुहवल । स्थानीय गाँव स्थित संत श्रीमानदास बाबा की तपोस्थली में धनुष-यज्ञ मेले के पूर्व नौ दिवसीय रामचरितमानस महायज्ञ का आयोजित है ,इसके सातवें दिन बृहस्पतिवार की देर शाम को वृन्दावन से आई कथावाचिका सुश्री कृष्ण प्रिया दुबे ने इस दौरान कृष्ण की रास लीलाओं का भी वर्णन सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गये ।
कथा को आगे बढाते हुए कहा कि धर्म मनुष्य को सांसारिक सुख शान्ति प्रदान करता है, कहा कि सुख का आधार धर्म मनुष्य को उनके उचित कर्त्तव्य का बोध कराता है ।कहा कि धर्म ही जीवन का वह तत्व है जो पशु-पक्षियों से अलग पहचान कराता है। सत्य, दया, परोपकार तथा जीव मात्र के प्रति प्रेम एवं सभी का सम्मान करने का उपदेश धर्म ही देता है। धर्म मनुष्य को सांसारिक सुख शांनि प्रदान करता है। अत्याचार बढ़ने लगता है तब भगवान स्वयं अवतार लेते हैं और धर्म की स्थापना करते हैं। कथा वाचिका कृष्ण प्रिया दूबे ने कहा कि इस नाशवान संसार को एक न एक दिन अवश्य छोड़ना पड़ता है। समस्त वैभव और भोग पदार्थ यहीं पर छूट जाते हैं। जीव के साथ सिर्फ उसके शुभ कर्मों का पुण्य ही जाता है। इसी कारण गीता में कृष्ण ने अर्जुन को निष्काम भाव से बिना किसी आशक्ति और विकलता के ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का पालन करने का उपदेश दिया है। कहा कि भागवत को केवल ग्रंथ न समझें। श्रीमद्भागवत भगवान का स्वरूप है, भक्त का स्वरूप है और साधन का भी स्वरूप हैं यहाँ पर द्वैत नाम की कोई चीज ही नहीं है। विचार करने पर बीच में दीखने वाला भवसागर भी असिद्ध हो जाता है और ज्ञात होता है कि वहाँ कुछ है ही नहीं। अतः ‘भागवत’ शब्द का अर्थ हुआ अद्वय ज्ञान और वह भगवान ही है। इस संक्षिप्त विचार का ही विस्तृत वर्णन आगे ‘भागवत माहात्म्य’ में किया गया है।इस अवसर पर जीवेन्द्र नारायाण शुक्ला,प्रभाकांत मिश्रा, पूर्व प्रमुख अनिल राय, विनोद गुप्ता, अमित पांडेय, ग्राम प्रधान सविता राय, लल्लन राय,हरिवंश यादव, कतवारू जी महराज आदि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे ।