जमानियां। स्थानीय तहसील के बार भवन में बुधवार को अधिवक्ताओं की आपात बैठक आहुत की गयी। जिसमें उपजिलाधिकारी एवं कोतवाल के तानाशाह पूर्ण रवैये के विरूद्ध अधिवक्ताओं के साथ बदसलूकी करने पर निन्दा प्रस्ताव पास किया गया। सर्व सम्मति से दोनों अधिकारियों के स्थानांतरण तक अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया गया। जिसके बाद अधिवक्ताओं ने जम कर नारेबाजी की ।
बैठक में बार के अध्यक्ष अधिवक्ता गोरख नाथ सिंह ने कहा कि एसडीएम ने बिना किसी साक्षय‚ बहस के ही तीन माह पहले लगी फाइल में आडर कर दिया गया। जबकि न्यायालय में कई वर्षो से लंबित फाइलों पर आज तक कोई आडर नहीं हुआ है। उनके आडर के बाद पैमाइश स्थल पर विवाद हो गया। दोनों पक्षों को पुलिस कोतवाली ले आयी। जहां स्टांप वेंडर मेराज खां थाने में प्रकरण को समझा रहा था कि कोतवाल ने तानाशाह पूर्ण रवैया दिखाते हुए उसे थाने में बैठा दिया। कहा कि जब इसकी जानकारी अधिवक्ताओं को हुई तो अधिवक्ता कोतवाल ने मिलने पहुंचे। जहां एसडीएम ने सभी अधिवक्ताओं को जेल भेजवाने की धमकी देने लगे। उन्होंने कहा कि कोतवाल की कार्रवाई और एसडीएम का तानाशाहपूर्ण रवैया के क्षुब्ध होकर निन्दा प्रस्ताव पास किया और दोनों अधिकारियों के स्थानांतरण तक न्यायिक कार्य से विरत रहने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। जिसके बाद अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर सहित विकास खंड तिराहा तक जलूस निकाल कर पुलिस प्रशासन एवं तहसील प्रशासन के विरूद्ध जम कर नारेबाजी की । इस संबंध में उपजिलाधिकारी सत्यप्रिय सिंह ने बताया कि न्यायालय में किये गये आदेश पर पब्लिक डोमेन पर कुछ लोग सवाल उठा रहे थे। मुझे यह जानकारी नहीं थी कि जो वार्ता कर रहा है वह बार के अध्यक्ष व पीछे खड़े लोग अधिवक्ता है। जिस कारण से कुछ गलत फैमी हो गयी। न्यायालय के किसी फैसले से किसी को कोई आपत्ति है तो उच्च न्यायालय में वाद दायर कर सकते है‚ अपील कर सकता है लेकिन पब्लिक डोमेन पर न्यायालय के आदेश के बारे में सवाल उठाना ठिक नहीं है। इस अवसर पर उमाकांत दिवेदी‚ सुरेन्द्र प्रसाद‚ रामजी राम‚ अंजनी कुमार‚ मेराज हसन‚ संजय दूबे‚ अरूण कुमार‚ प्रेम शंकर तिवारी‚ मो एकराम‚ परवेज‚ राम रतन‚ नरेन्द्र कुमार राय‚ फैसल होदा‚ अशोक सिंह‚ दिग्विजय‚ सोहन यादव आदि सहित दर्जनों अधिवक्ता‚ स्टाम फरोस एवं वसीका नवीस मौजूद रहे।