ग़ाज़ीपुर। नवजात शिशुओं की देखभाल और स्तनपान को लेकर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से इंक्रीमेंट लर्निंग एप्रोच (आईएलए) के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो 21 माड्यूल पर आधारित है।
वृहस्पतिवार को विकास भवन सभागार कार्यालय में माड्यूल नंबर 16 – ‘कंगारू मदर केयर की मदद से कमजोर शिशु की देखभाल कैसे करें’ पर प्रशिक्षण दिया गया जिसमें जनपद के 09 ब्लाकों के बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) और सभी सुपरवाइजर ने प्रतिभाग किया। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे के नेतृत्व में जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र कुमार गुप्ता ने सभी को प्रशिक्षण दिया।
जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि ‘कंगारू मदर केयर’ तकनीक को इसके नाम से ही समझा जा सकता है। कंगारु अपने बच्चे को अपने शरीर के अंग से चिपकाकर रखता है। इसी क्रिया से ‘कंगारु मदर केयर’ तकनीक का नाम सामने आया। उन्होने बताया कि बहुत से बच्चों का जन्म समय से पहले ही हो जाता है और इन प्री-मेच्योकर शिशुओं का वजन 2.5 किलो से कम होता है। इन बच्चों में स्वानस्य्मन की समस्याक अधिक होती है। ऐसे समय में बच्चों की विशेष देखभाल के लिए ‘कंगारु मदर केयर’ देने की सलाह दी जाती है। इस तकनीक में अभिभावक नवजात को कुछ समय के लिए अपने सीने से चिपकाकर रखते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कंगारु अपने शिशु को अपने करीब रखता है और अपने बच्चे को गर्माहट देता है। ऐसा करने से नवजात का तापमान सामान्य रहता है और स्वास्थ्य समस्या भी स्वतः दूर हो जाती हैं।
श्री जितेंद्र ने बताया कि ‘कंगारु मदर केयर’ देते समय बच्चे को केवल डाइपर ही पहनाया जाता है ताकि त्वचा से त्वचा का सीधा संपर्क हो सके। माता-पिता के दिल की धड़कन सुनने से बच्चे को आराम महसूस होता है, उसकी हृदय गति सामान्य हो जाती है और उसे नींद भी अच्छी आती है। इस तकनीक को बच्चे के पैदा होने के तुरंत बाद से लेकर कई दिनों तक की जा सकती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य माताओं में नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने को बढ़ावा देना है। सीडीपीओ और सुपरवाइज़र प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने-अपने क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। उन्होने बताया कि समय से पहले जन्मे बच्चों का वजन 2.5 किलो से कम हो तो मां अपने बच्चे को सीने से अधिक से अधिक 30 मिनट तक चिपका कर रखें और स्तनपान भी जारी रखे। कंगारू मदर केयर तकनीक तब तक जारी रखें जब तक कि बच्चा एक माह का न हो जाए और उसके वजन में बढ़ोतरी न होने लगे। उन्होंने निर्देश दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बार-बार गृह भ्रमण करें और जन समुदाय को कंगारू मदर केयर की जानकारी दें।