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साहित्य और मानवीय मूल्य विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

जमानियां। स्टेशन बाजार स्थित हिन्दू स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंग्रेजी विभाग में साहित्य और मानवीय मूल्य विषयक संगोष्ठी का आयोजन डॉ.राकेश कुमार सिंह के संयोजकत्व में हुई।

कार्यक्रम का प्रारम्भ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदना से हुआ। विभाग के 34 शिक्षार्थियों शोध पत्र का वाचन किया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ.सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि साहित्य मानवीय मूल्य का श्रोत है। मानवीय मूल्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व को क्रियान्वित करता है। आधुनिक परिवेश में मानवीय मूल्यों का तेजी से क्षरण हो रहा है जिसका कुप्रभाव भारतीय जन मानस में परिलक्षित हो रहा है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता मानवीय मूल्यों को संरक्षित करने में पुरातन काल से अग्रणी भूमिका निभाई है जो परसंस्कृति ग्रहण के कारण आज खतरे में है। आइए हम अपनी सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ मानवीय मूल्यों का पतन रोकें। संगोष्ठी में अपने विचार रखते डॉ.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने कहा कि भाषा विचार विनिमय का साधन है। मनुष्य अपने वाक अवयवों द्वारा जिन सार्थक शब्दों का व्यवहार करता है मानव हित रची गई यही रचना साहित्य की कोटि में आती हैं। जीवन मूल्यों को लेकर आज गंभीर विमर्श की आवश्यकता है क्योंकि इस में निरन्तर गिरावट देखी जा रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शरद कुमार ने कहा कि आज जिस विमर्श के लिए हम लोग यहां उपस्थित हैं यह ह्यूमन वैल्यू के प्रति चिंता को भी रेखांकित करता है । साहित्य हमें जीव के दया, करुणा, परोपकार की शिक्षा प्रदान करता है जो मानवीय मूल्य के ही घटक हैं। हम सबको संकल्प लेना होगा कि आज से ही हम अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों का पालन करेंगे। नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार कर लेने से भी मानवीय मूल्य स्वयं संरक्षित होने लगते हैं। कार्यक्रम में डॉ शशिनाथ सिंह, डॉ संजय कुमार सिंह, डॉ अरुण कुमार, मनीष कुमार सिंह आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर ज्योति सिंह, रेजिना, शना परवीन, बुशरा परवीन, मनोज कुमार सिंह, प्रदीप कुमार सिंह, कमलेश प्रसाद आदि उपस्थित रहे।

संगोष्ठी में भाग लेते छात्र व छात्राएं