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मानवता ही इंसान का सबसे बड़ा धर्म-अम्बरेशानंद जी महाराज

कंदवा(चन्दौली)। आज के इस भौतिक युग में यदि मनुष्य, मनुष्य के साथ अच्छा व्यवहार करना नहीं सीखेगा,तो भविष्य में वह एक-दूसरे का घोर विरोधी ही होगा।

इसी कारण हर तरफ मानवता का गला दबाया जा रहा है। हर तरफ मानवता रो रही हो। विश्व का ऐसा कोई कोना नहीं बचा है,जहां हर रोज किसी धर्म के नाम पर राजनीति न हो। हर तरफ न जाने कितने लाखों लोग बेघर हो रहे है और कितने ही मासूम बच्चे अनाथ हो रहे हैं। वर्तमान में धार्मिकता से रहित आज की यह शिक्षा मनुष्य को मानवता की ओर न ले जाकर दानवता की ओर ले जा रही है। ये बातें वाराणसी से पधारे अम्बरेशानंद जी महाराज ने अदसड़ गांव स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय प्रांगड़ में चल रहे पांच दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा के चौथे दिन शनिवार की शाम व्यक्त किया। कहा कि मानवता ही इंसान का सबसे बड़ा धर्म है।

उन्होंने कहा कि हम परमात्मा को तो मानते हैं पर हम परमात्मा की बात को नहीं मानते।यदि हम अपने जीवन में परमात्मा को मानने लग जाये तो जीवन का कल्याण हो जाये।कहा कि हमें मोह का त्याग करना चाहिए।यदि एक बार मोह का त्याग हो जाये तो जीवन महान बन जाएगा। मानव को कोई भी चीज क्रोध से नहीं प्रेम से जीतनी चाहिए और क्रोध को क्रोध से नहीं बल्कि क्षमा से जीतना चाहिए। जो व्यक्ति क्षमा को धारण करता है वह महान बन जाता है। कहा कि जैसे गंगा मां किसी के साथ भेदभाव नहीं करती,सभी को पावन कर देती हैं, वैसे ही प्रभु की कथा रूपी गंगा में भी डुबकी लगाकर नीच से नीच प्राणी भी श्रेष्ठ बन जाता है।कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने शबरी प्रसंग को सुनाया और कहा कि शबरी ने लाखों वर्षों से प्रभु राम की प्रतीक्षा में आश्रम में जीवन को व्यतीत किया। श्रीराम ने शबरी की भक्ति से प्रभावित होकर शबरी के जूठे बेर खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। भक्ति के चलते ही श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर खाए और उसे नवधा भक्ति का उपदेश दिया।

इस दौरान सैयदराजा विधायक सुशील सिंह ने भी पहुंचकर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर श्याम नारायण सिंह, सन्तोष शर्मा, चन्द्रशेखर आजाद, राधेश्याम पटेल, बृजेश सिंह आदि सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष मौजूद रहे।