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हुआ झंडारोहण

सुहवल । अघोर महिला शक्तिपीठ गौशपुर गाजीपुर की पीठाधीश्वरी रूद्राणी माई रामजी के सानिध्य में आयोजित होने वाले लक्ष्मी नारायण यज्ञ हेतु झंडा -रोहण का कार्यक्रम आज संत मानदास बाबा के परिसर में हुआ, जिसमें हवन, कीर्तन, किया गया, आयोजित इस कार्यक्रम में क्षेत्र के समस्त महिला,पुरूष श्रद्धालु उपस्थित रहे,यज्ञ दिनांक 31 मार्च से शुरू होगा।

जिसमें कलश यात्रा, प्रवचन,रासलीला आदि जबकि पूर्णाहुति एवं भंडारा 8 अप्रैल को सुनिश्चित है ।यह जानकारी आयोजक मंडल ने दी है । आयोजित इस संकल्पित यज्ञ हेतु झंडा-रोहण के उपरांत उपस्थित श्रद्धालुओं को रामचरितमानस कथा का रसपान कराते हुए अघोर महिला शक्तिपीठ गौशपुर की पीठाधीश्वरी रूद्राणी माई रामजी ने कहा कि हिन्दी साहित्य का सर्वमान्य एवं सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य रामचरितमानस मानव संसार के साहित्य के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों एवं महाकाव्यों में से एक है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ग्रंथ के साथ रामचरित मानस को ही प्रतिष्ठित करना समीचीन है | वह वेद, उपनिषद, पुराण, बाईबल, इत्यादि के मध्य भी पूरे गौरव के साथ खड़ा किया जा सकता है। इसीलिए यहां पर तुलसीदास रचित महाकाव्य रामचरित मानस प्रशंसा में प्रसादजी के शब्दों में इतना तो अवश्य कह सकते हैं कि

राम छोड़कर और की जिसने कभी न आस की,
रामचरितमानस-कमल जय हो तुलसीदास की।

अर्थात यह एक विराट मानवतावादी महाकाव्य है, जिसका अध्ययन अब हम एक मनोवैज्ञानिक ढ़ंग से करना चाहेंगे, जिसके अन्तर्गत श्री महाकवि तुलसीदासजी ने श्रीराम के व्यक्तित्व को इतना लोकव्यापी और मंगलमय रूप दिया है कि उसके स्मरण से हृदय में पवित्र और उदात्त भावनाएं जाग उठती हैं। परिवार और समाज की मर्यादा स्थिर रखते हुए उनका चरित्र महान है कि उन्हें मर्यादा पुरूषोतम के रूप में स्मरण किया जाता ह। वह पुरूषोत्तम होने के साथ-साथ दिव्य गुणों से विभूषित भी हैं। वह ब्रह्म रूप ही है, वह साधुओं के परित्राण और दुष्टों के विनाश के लिए ही पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं, मनोवैज्ञानिक दृष्टि से यदि कहना चाहे तो भी राम के चरित्र में इतने अधिक गुणों का एक साथ समावेश होने के कारण जनता उन्हें अपना आराध्य मानती है, इसीलिए महाकवि तुलसीदासजी ने अपने ग्रंथ रामचरितमानस में राम का पावन चरित्र अपनी कुशल लेखनी से लिखकर देश के धर्म, दर्शन और समाज को इतनी अधिक प्रेरणा दी है , कि शताब्दियों के बीत जाने पर भी मानस मानव मूल्यों की अक्षुण्ण निधि के रूप में मान्य है। अत: जीवन की समस्यामूलक वृत्तियों के समाधान और उसके व्यावहारिक प्रयोगों की स्वभाविकता के कारण तो आज यह विश्व साहित्य का महान ग्रंथ घोषित हुआ है, और इस का अनुवाद भी आज संसार की प्राय: समस्त प्रमुख भाषाओं में होकर घर-घर में बस गया है।