ग़ाज़ीपुर। अनियमित दिनचर्या और तनाव के चलते आज के मौजूदा समय में मधुमेह बड़े ही तेजी से लोगों में बढ़ा रहा है। जिसका प्रथम असर लोगों की आंखों पर पड़ना शुरू हो जाता है। जिसे चिकित्सीय भाषा में मधुमेह रेटिनोपैथी कहां जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मधुमेह के कारण एक व्यक्ति का रेटिना क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह अंधापन के सबसे प्रचलित कारणों में से एक है। आप जितने लंबे समय तक मधुमेह से पीड़ित रहे हैं, उतनी अधिक संभावना है कि आप इससे गुजर रहे हैं।
एसीएमओ डॉ डीपी सिन्हा ने बताया कि रेटिना की रक्त वाहिकाओं में परिवर्तन आपके रक्त शर्करा के स्तर में परिवर्तन के कारण होता है। रेटिना की रक्त वाहिकाओं में सूजन हो सकती है और आंख के पीछे तरल पदार्थ का रिसाव हो सकता है। जिसके परिणामस्वरूप डायबिटिक रेटिनोपैथी होती है। यदि आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो खुद को बचाने के लिए शुरुआती और अतिरिक्त सावधानी की सिफारिश की जाती है। और आखो की सही से देखभाल की जानी चाहिए। सबसे पहले, आपको अपने पूरे शरीर की भलाई के लिए उचित आहार, इन्सुलेशन और नियमित रूप से व्यायाम करके अपने शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने की कोशिश करनी चाहिए। आपको नियमित रूप से रक्त शर्करा के स्तर के परीक्षण और कीटोन स्तर के परीक्षण के साथ-साथ वर्ष में एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए। ताकि समय पर किसी भी तरह के खतरे की पहचान की जा सके खतरे की पहचान करने के बाद उसका सही उपचार किया जाना चाहिए ।
यदि किसी व्यक्ति को इस तरह के लक्षण दिख रहे हो तो अधिक जानकारी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,सरकारी अस्पताल में संपर्क कर अपना इलाज जरूर कराएं।
उन्होंने बताया कि इसके होने पर प्रारंभ में कोई स्पष्ट संकेत या दर्द नहीं होता है। बाद की अवस्था में दृष्टि धुंधली हो जाती है। काले धब्बे या काली रेखाएं दिखाई देने लगते हैं। इसके रोकथाम के लिए रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने के लिए नियमित जांच और दवा लेना ही मधुमेह रेटिनोपैथी से बचने का सर्वोत्तम तरीका है। रक्त शर्करा के नियंत्रण में रहने के बावजूद भी मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को रेटिनोपैथी के लिए समय-समय पर नेत्र की जांच अवश्य ही करानी चाहिए।