ग़ाज़ीपुर। मां बनना जिंदगी का सबसे सुखद अहसास है जिस पल गर्भ में भ्रूण आता है उस पल से एक नई जिंदगी शुरू हो जाती है। इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं का खास ख्याल रखना चाहिए। मां और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल, जरूरी परामर्श और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना ही प्रसव पूर्व देखभाल है। इसको लेकर सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। क्योंकि प्रसव पूर्व जांच एवं देखभाल नियमित रूप से किए जाने पर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में काफी सुधार किया जा सकता है। यह जानकारी जिला महिला चिकित्सालय के कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर तारकेश्वर ने दी।
मुख्य चिकित्साधीक्षक ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला के परिजनों को काफी सजग रहना चाहिए। आमतौर पर प्रसव बिना किसी समस्या के हो जाते हैं, लेकिन कई बार अचानक और अप्रत्याशित समस्याएं सामने आ सकती हैं। इसलिए विशेष ख्याल रखना जरूरी है। गर्भावस्था में महिलाओं को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है जिसमें हाई ब्लडप्रेशर, मधुमेह, एनीमिया, प्री-एक्लेम्पसिया आदि। इन जटिलताओं से निजात के लिए जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रत्येक माह की 09 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जा रहा है जिसमें गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व से संबन्धित सभी जाँचे निःशुल्क की जाती है और उन्हें आवश्यक सलाह भी दी जाती है। वहीं जांच के दौरान उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं पर विशेष निगरानी रखी जाती है।
यह बाते हैं जरूरी
•गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं का पता लगाना और उनका हल निकालना महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान पेट में पल रहे शिशु को प्रसव के पहले पोषण और विटामिन की जरूरत होती है। मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में जन्म दोष को रोकने के लिए कैल्शियम, प्रोटीन एवं विटामिन युक्त आहार लेना चाहिए होती है। आयरन फोलिक एसिड ऐसा ही एक विटामिन है।
•प्रसव पूर्व देखभाल में सबसे पहले शरीर के महत्वपूर्ण संकेतों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें शरीर का तापमान, ब्लड प्रेशर आदि जांच सप्ताह में कम से कम एक बार जरूर होनी चाहिए। इसके अलावा सिरदर्द, बुखार, बहुत अधिक कमजोरी महसूस होना, सांस लेने में कठिनाई, पेशाब करने में दर्द, पेट में अधिक दर्द होना या हमेशा दर्द होना जैसी समस्याओं के बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
•जिन महिलाओं की प्रसव पूर्व देखभाल नहीं होती है, उनके बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में 3 गुना कम वजन के साथ जन्म लेते हैं। ऐसी महिलाओं का मृत्यु का जोखिम भी 5 गुना बढ़ जाता है।
•गर्भावस्था के चौथे सप्ताह से 13वें सप्ताह के बीच डॉक्टर के पास जरूर ले जाना चाहिए। 14वें से 28वें सप्ताह तक हर महीने में एक बार जाना चाहिए। 29वें से 35वें सप्ताह तक हर महीने में दो बार जाना होगा। 36वें सप्ताह से हर सप्ताह में एक बार डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।
•गर्भावस्था की पहली तिमाही एक महत्वपूर्ण चरण है और इस समय भ्रूण तेजी से विकसित होता है और वह बहुत नाजुक भी होता है। इसलिए गर्भ में पल रहे भ्रूण की वृद्धि व विकास के लिए देखभाल बहुत जरूरी है।