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नवजात शिशु के देखभाल के लिए दिया गया प्रशिक्षण

ग़ाज़ीपुर। घर पर नवजात शिशु की देखभाल कैसे किया जाए इसके लिए स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा कार्यकर्ती घर घर जाकर लोगों को इसके बारे में जानकारी देती हैं। आज मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय जनपद के समस्त बीसीपीएम और स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी एक दिवसीय प्रशिक्षण यूनिसेफ के ट्रेनर सत्य प्रकाश चंद्र और साजिद अली के साथ जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ उमेश कुमार के द्वारा प्रशिक्षक दिया गया। आए हुए सभी लोगों को नियमित टीकाकरण और ऐसे फैमिली के बारे में रणनीति बनाने के बारे में जानकारी दी गई जो अब तक टीकाकरण से इंकार करते रहै हैं।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने बताया कि एक नवजात शिशु को 24 घंटों की सुरक्षा तो मिल जाती हैं। लेकिन उसके बाद भी नवजात की विशेष देखभाल जरुरी होती है। स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से गंभीर नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराने, घर पर नवजात शिशुओं की उचित देखभाल करने तथा बीमार नवजात शिशुओं का समय से इलाज सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एचबीएनसी (गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल) कार्यक्रम चलाया जा रहा है ।

आशा शिशुओं की देखभाल प्रसव के बाद 3, 7, 14, 21, 28 और 42वें दिन गृह भ्रमण करके करती हैं। उन्होने बताया कि इस 42 दिन के गृह भ्रमण के दौरान आशा माँ और बच्चे की बेहतर देखभाल करके माँ और बच्चे की जान पर आये हुए खतरे को टालने का काम करती है। बच्चे के गर्भ में आने से लेकर उसके जन्म लेने के बाद पहला घंटा, पहला दिन, पहला महिना, और पहला साल बहुत भारी पड़ता है जिसे वो बेहतर देखभाल करके बच्चे के जीवन को बचा सकती है। गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल का उद्देश्य, नवजात शिशु में आशाओं द्वारा 6 माह तक सिर्फ स्तनपान को बढ़ावा देना, नियमित व सम्पूर्ण टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करना, 6 माह के बाद स्तनपान के साथ साथ पूरक आहार को बढ़ावा देना, कम वजन वाले अथवा समय से पूर्व जन्में शिशुओं को स्तन द्वारा निकाले हुये दूध को कटोरी एवं चम्मच की मदद से पिलाने के बारे में घर वालों को प्रशिक्षित करना, बच्चों में डायरिया एवं निमोनिया से बचाव के विषय में जानकारी देना आदि गतिविधियों के बारे जागरूक व प्रोत्साहन करना है।

गृह भ्रमण के दौरान हाथ धोने, वजन लेने, तापमान लेने, गर्म कपड़े में किस तरह से नवजात को लपेटा जाये की उसको ठण्ड से बचाया जा सके के साथ ही टीकाकरण, छह माह तक सिर्फ स्तनपान, पूरक आहार आदि के बारे जानकारी देती हैं।