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तंबाकू व स्वस्थ फेफड़े के सम्बन्ध में कार्यशाला का हुआ आयोजन

ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के प्रशिक्षण भवन में शनिवार को तंबाकू और स्वस्थ फेफड़े को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जी सी मौर्य के द्वारा किया गया। इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कार्यशाला में आई हुई आशा, एएनएम और चिकित्सा अधिकारियों को तंबाकू से फेफड़ों को होने वाले नुकसान के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दिया।

एन सी डी के प्रभारी डॉ के के सिंह ने बताया कि किसी अन्य के बीड़ी या सिगरेट से आने वाले धुए का पान करना सेकंड हैंड धूम्रपान कहलाता है ।सेकंड हैंड धूम्रपान बीड़ी,सिगरेट न पीने वाले व्यस्को व बच्चों सभी को हानि पहुंचाता है।
उन्होंने बताया कि इससे बच्चों में मध्य कर्ण रोग, वसनीय रोग ,फेफड़े की कार्य क्षमता कम होना, दमा, शिशु की अचानक मौत आदि हो सकता है ।वहीं अगर व्यस्क लोगों के लिए बातें करें तो इन्हें अभीघात,कोरोनरी हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर ,वसनीय रोग, दमा, क्षय रोग ,फेफड़े की कार्य क्षमता आदि प्रभावित हो सकता है।

वहीं उन्होंने तंबाकू के सेवन करने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसमें प्रजनन मे कमी, शिशुओं का जन्म के समय कम वजन, मृत बच्चे का जन्म ,गर्भाशय कैंसर आदि बीमारियां बढ़ने की संभावना रहती है।

वहीं उन्होंने धूम्रपान छोड़ने के फायदे के बारे में बतलाया की आप भोजन का बेहतर स्वाद ले पाएंगे। धूम्रपान छोड़ने के 2 घंटे बाद निकोटीन आपके अंग प्रणाली से बाहर हो जाता है। 12 घंटे बाद कार्बन मोनोऑक्साइड आपकी अंग प्रणाली से बाहर हो जाता है। और फेफड़े का कार्य बेहतर होने लगता है। 2 दिन बाद आप की सुगंध की संवेदना बढ़ जाती है ।शारीरिक कार्यकलाप आसान हो जाता है और अधिक मात्रा में वायु फेफड़े में जाती है । 2 महीने बाद फेफड़ा अधिक क्षमता से कार्य करने लगता है 12 माह पश्चात धूम्रपान जारी रखने वाले व्यक्ति की तुलना में हृदय रोग का जोखिम आधा हो जाता है।

इस कार्यशाला में एसीएमओ डॉ केके वर्मा ,एसीएमओ डॉ उमेश कुमार ,अमित राय सहित आशा एएनएम और चिकित्सा प्रभारी मौजूद रहे।