ग़ाज़ीपुर। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा की सबसे पुरानी परंपरा में रोगों से लड़ने के लिए घरों के अंदर ही मौजूद आयुर्वेदिक वस्तुओं के उपयोग के बारे में बताया गया है।
मौजूदा समय में कोरोना से बचने के लिए डाक्टर भी तरह-तरह के तरीकों को अपना रहे हैं। आयुर्वेद में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपचार मौजूद हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है आयुष क्वाथ यानि काढ़ा। कोरोना काल में यह सबसे अधिक फायदेमंद साबित हो रहा है, बस जरूरी यह है कि इसमें उपयोग किए जाने वाले सामानों की मात्रा सही होनी चाहिए । इसके साथ ही च्यवनप्राश और गोल्डन मिल्क यानी हल्दी युक्त दूध भी कोरोना वायरस समेत तमाम स्वसन तंत्र संबंधित बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर को मजबूत बनाने का कार्य करता है जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के चलते लोगों को घेर लेती है।
क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ आनन्द विद्यार्थी का कहना है कि रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए आयुष क्वाथ को चार प्रमुख औषधीय जड़ी बूटियों-तुलसी की पत्ती, दालचीनी, सोंठ और कृष्ण मरीच (काली मिर्च) मिलाकर तैयार करना सबसे ज्यादा उपयुक्त है, जो हर घर में मौजूद है बस जरूरत है उसके बारे में सही जानकारी होने की है ।
डॉ आनंद विद्यार्थी ने बताया कि इसको बनाने में तुलसी पत्ती का चार भाग, दालचीनी दो भाग, सोंठ का दो भाग और काली मिर्च का एक भाग होना सबसे उपयुक्त होता है। काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले सभी सूखी सामग्रियों का दरदरा पाउडर बना लें, 500 मिलीलीटर साफ पानी में धीमी आंच पर उबालें, आधा शेष रह जाने पर छान कर 50 मिलीलीटर की मात्रा चाय की तरह सुबह/शाम सेवन करें, इसमें नींबू व स्वाद के लिए गुड़ मिला सकते है। इसके अलावा सुबह 10 ग्राम (एक चम्मच) च्यवनप्राश का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए अन्यन्त फायदेमंद होता है। मधुमेह रोगियों को शुगर फ्री च्यवनप्राश लिया जा सकता है। गोल्डन मिल्क 250 मिलीलीटर गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने में मददगार साबित होता है। इस कोविड-19 के काल में हमें गुनगुना पानी ही पीना चाहिए। इस तरह आयुर्वेद के तरीकों को अपनाकर और ध्यान व प्राणायाम को अपने जीवन में शामिल कर हम अपने को निरोगी बना सकते हैं।
कोविड-19 महामारी में इन बातों का जरूर रखें ध्यान :
(1) कोरोना वायरस से बचने के लिए हम लोग जब भी घर के बाहर किसी कार्य से जाये तो मुंह व नाक को मास्क, गमछा व रूमाल से अवश्य ढकें।
(2) हाथों को साबुन से 2-2 घण्टे के अन्तराल पर 40 सेकंड तक धोते रहना चाहिए।
(3) बार – बार अपने आंख, नाक और मुंह को बार बार न छुंये।
(4) एक दूसरे से हमेशा 2 मीटर की दूरी बनाते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
डॉ आनंद विद्यार्थी ने कहा कि इन सब सावधानियों से ही कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। आने वाले दौर में हमें अपनी जीवन शैली में ऐसे ही बदलाव कर जीने की आदत डालनी होगी, क्योंकि हमें अपनी ‘जान’ के साथ ‘जहान’ यानी की भी चिंता करनी होगी।