Skip to content

पर्यावरण संरक्षण का लें संकल्प-कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अरुण कुमार

जमानियां। स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय एनएसएस द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सात सप्तपर्णी के वृक्ष लगाए गए।

आज पर्यावरण संरक्षण एक सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है।लेकिन दुखद है कि लोगों में इसे लेकर जितनी जागरूकता की जरूरत है उतनी हो नहीं पा रही है।गांवों को छोड़ दें तो नगरीय जीवन में इसके प्रति जागरूकता का खासा अभाव है। जब तक पर्यावरण जागरूकता के प्रति लोगों में एक स्वाभाविक लगाव पैदा नहीं होता, पर्यावरण संरक्षण दूर का सपना बना रहेगा। इसका सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है।हमें समझना होगा कि आखिर पर्यावरण की निर्मिति क्या है?हमारे परिवेश में हम तरह-तरह के जीव-जन्तु,पेड़ पौधों तथा अन्य सजीव निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं।ये ही मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे-भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा जीव विज्ञान, आदि में हम विषय के मौलिक सिद्धान्तों तथा उनसे सम्बन्धित प्रायोगिक विषयों का अध्ययन करते हैं।परन्तु आज की आवश्यकता यह है कि पर्यावरण के विस्तृत अध्ययन के साथ-साथ इससे सम्बन्धित व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाए।आज की आवश्यकता यह है कि पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं की शिक्षा व्यापक स्तर पर दी जाय एवं इससे निपटने के बचावकारी उपायों की जानकारी भी दी जाय। आज के मशीनीयुग में हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं जहां हम पर्यावरणीय नियम को तार तार कर रहे हैं। प्रदूषण एक अभिशाप के रूप में सम्पूर्ण पर्यावरण को नष्ट करने के लिए हमारे सामने खड़ा है। सम्पूर्ण विश्व एक गम्भीर चुनौती के दौर से गुजर रहा है। यद्यपि हमारे पास पर्यावरण सम्बन्धी पाठ्य-सामग्री की कमी है तथापि सन्दर्भ सामग्री की कमी नहीं है। वास्तव में आज पर्यावरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि समस्या को जनमानस सहज रूप से समझ सके।ऐसी विषम परिस्थिति में समाज को उसके कर्त्तव्य तथा दायित्व का एहसास होना आवश्यक है।समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा कर हम इसकी संरक्षा कर सकते हैं। वास्तव में सजीव तथा निर्जीव दो संघटक मिलकर प्रकृति का निर्माण करते हैं। वायु, जल तथा भूमि निर्जीव घटकों में आते हैं जबकि जन्तु-जगत तथा पादप-जगत से मिलकर सजीवों का निर्माण होता है। इन संघटकों के मध्य एक महत्वपूर्ण रिश्ता यह है कि अपने जीवन-निर्वाह के लिए परस्पर निर्भर रहते हैं। जीव-जगत में यद्यपि मानव सबसे अधिक सचेतन एवं संवेदनशील प्राणी है तथापि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वह अन्य जीव-जन्तुओं, पादप, वायु, जल तथा भूमि पर निर्भर रहता है। मानव के परिवेश में पाए जाने वाले जीव-जन्तु पादप, वायु, जल तथा भूमि पर्यावरण की संरचना करते हैं।यह विचार पर्यावरण संरक्षण संकल्प के अवसर पर अपनी बात रखते हुए महाविद्यालय के रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अरुण कुमार ने कही।
स्वयंसेविका दीक्षा जायसवाल ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण का व्यवहारिक ज्ञान कराकर हम अपनी और मानव जाति की रक्षा कर सकते हैं,अन्यथा प्रकृति अपना काम करने को तैयार बैठी है जिसे हम कोविड 19 के रूप में देख सकते हैं।शिक्षा मानव-जीवन के बहुमुखी विकास का एक प्रबल साधन है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के अन्दर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक बुद्धि एवं परिपक्वता लाना है।वहीं स्वयं सेवक राहुल कुमार गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण तथा शिक्षा के अन्तर्सम्बन्धों का ज्ञान हासिल किए बिना कोई भी व्यक्ति इस दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य नहीं कर सकता।पर्यावरण का विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है, किन्तु उसकी शिक्षा में किसी प्रकार की वैज्ञानिक पेचीदगियाँ नहीं हैं।हम विद्यार्थियों को प्रकृति तथा पारिस्थितिक ज्ञान सीधी तथा सरल भाषा बताया जाना चाहिए।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.शरद कुमार ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखे बिना हम मानव को सुरक्षित रखने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।आज की जागरूकता कल का संरक्षित भविष्य है।राष्ट्रीय सेवा योजना के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री और कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अरुण कुमार के नेतृत्व में महाविद्यालय परिसर में स्वयसेवकों के साथ पौधे लगाने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं व बधाई।स्वयं सेवकों और स्वयं सेविकाओं को ढेर सारा प्यार व आशीर्वाद। कार्यक्रम में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री, कमलेश प्रसाद,अभय कुमार,सुनील कुमार चौरसिया,पवन कुमार चौरसिया आदि उपस्थित रहे।