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ऑनलाइन शिक्षण से बच्चों के स्वास्थ्य एवं मन पर पड़ेगा बुरा प्रभाव-प्रो.ओ.पी.सिंह

जमानियां। हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय जमानियां, राव आई.ए.एस.एवं वेस इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में “कोविड-19: शैक्षणिक चुनौतियां और अवसर” विषयक वेब-संगोष्ठी का आयोजित की गई। संगोष्ठी का प्रारम्भ महाविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं मीडिया प्रभारी डॉ.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री के मंगलाचरण/सरस्वती वंदना से हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.अरविंद कुमार जोशी ने तथ्यात्मक एवं सूचनापरक व्याख्यान प्रस्तुत किया।प्रो.जोशी ने वर्तमान महामारी के दौर में तीन सार्थक मुद्दों-प्रौद्योगिकी समस्या, सामाजिक समस्या तथा अध्यापन-शिक्षण समस्या पर सारगर्भित चर्चा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में शिक्षा का स्वरूप नाटकीय ढंग से परिवर्तित हो गया है।उन्होंने ऑनलाइन शिक्षण को समय की माँग बताते हुए इसके गुण-दोषों पर प्रकाश डाला और कहा कि ज्ञान दर्शन, स्वयंप्रभा, शोधगंगा आदि अनेक डिजिटल फ्लेटफार्म उच्च शिक्षा के परिदृश्य को बदल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऑनलाइन शिक्षण परम्परागत शिक्षण का स्थान कभी नहीं ले सकते लेकिन भविष्य में इसे परम्परागत शिक्षण के साथ लागू करते हुए ब्लेंड लर्निंग का सिस्टम भी लागू करना चाहिए। संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक व महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य, शिक्षक डॉ.अनिल कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोरोना ने हमारे साक्षरता मिशन और सर्वशिक्षा अभियान को काफी प्रभावित किया है। प्राइमरी, सेकेंडरी तथा कालेज शिक्षा में वर्तमान ऑनलाइन शिक्षण पद्धति गाँवों और गरीबों के लिए नहीं हैं।इसमें कई आर्थिक और तकनीकी समस्याएँ हैं।विज्ञान के छात्रों के लिए भी यह सुविधाजनक नहीं है क्योंकि उनका अध्ययन प्रयोगशाला में पहुँचे बिना नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि मुस्लिम मदरसों में आलिम ही पढ़ाते हैं, पढ़ाई न होने से वहाँ की शिक्षा सर्वाधिक प्रभावित है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो.ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि यह आपातकाल है। महामारी के इस दौर में सबसे बड़ा संकट जीवन और स्वास्थ्य का है। ऑनलाइन शिक्षण बच्चों के स्वास्थ्य– आँख, कान, मन को दुष्प्रभावित करता है। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति इसे वहन नहीं कर सकता। जो गरीब अपनी भोजन की आवश्यकता पूरी नहीं कर सकता वह स्मार्टफोन का खर्च कैसे उठा सकेगा? डिजिटल शिक्षा से गाँवों को जोड़ने के लिए सरकार को वहाँ मुफ्त वाई-फाई केंद्र बनाना चाहिए और गरीबी रेखा से नीचे के छात्रों को मुफ्त स्मार्टफोन-टैबलेट आदि बाँटना चाहिए। प्रो.सिंह ने इस संकटकाल में परीक्षा के सवाल, ऑनलाइन पाठ्यक्रम के स्वरूप और शिक्षा के समग्र पक्षों पर सार्थक सुझाव प्रस्तुत करते हुए लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि अब हमें शिक्षा के ऐसे स्वरूप की आवश्यकता है जो रोजी-रोटी दे सके और ऐसी चुनौती से निपटने में हमारी मदद करे। हम कितनी भी ऑनलाइन शिक्षण की बात करें लेकिन ऐसी शिक्षा पर भी बात होनी चाहिए जो हमारी निर्धनता दूर करे और अधिकांश जनसंख्या अकुशल होने से बचा सके।हरिश्चंद पी.जी.कॉलेज वाराणसी की इतिहास विभाग की एसोसियेट प्रोफ़ेसर डॉ.महिमा मिश्रा ने ऑनलाइन शिक्षा के नकारात्मक पक्ष पर चर्चा करते हुए इसे थकाऊ और उबाऊ बताते हुए इसे रोचक बनाने तथा इसे वैकल्पिक रूप में ग्रहण करने का सार्थक सुझाव दिया।
राव आई.ए. एस.के निदेशक डॉ. अजीत प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड की चुनौती से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा।ये समय भी बीत जाएगा और हम पहले जैसे समय में पुनः जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के यशस्वी प्राचार्य डॉ.शरद कुमार ने किया।उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कोरोना के कारण प्रभावित महाविद्यालय के छात्रों की शिक्षा पर गहरी चिंता जताई। साथ ही भविष्य में कुछ ठोस हो सके शिक्षार्थियों के लिए इस हेतु सरकार से सार्थक कदम उठाने की अपील की और ज्ञानार्जन हेतु अंतरराष्ट्रीय स्तर के वेबिनार आयोजित करने का सुझाव दिया। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ.संजय कुमार सिंह ने किया।नैक, आइ.क्यू.ए.सी.प्रभारी व रसायन विज्ञान के अध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार ने वक्तव्यों का सारगर्भित सार संक्षेप प्रस्तुत किया तथा आयोजन सचिव डॉ.अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन वेस इंडिया के डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव एवं राजकीय कॉलेज चकिया चंदौली के प्रवक्ता डॉ. मुकेश श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस वेव संगोष्ठी में अठारह राज्यों सहित कुल 489 प्रतिभागियों ने सहभागिता की जिसमें प्रोफेसर, एसोसियेट प्रोफ़ेसर, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, शोध छात्र छात्राएं,शिक्षार्थियों एवं शिक्षा प्रेमियों ने शिरकत की।संगोष्ठी में महाविद्यालय परिवार से डॉ.अरुंधती त्रिवेदी, प्रो.रामलखन यादव, डॉ.मातेश्वरी प्रसाद सिंह, डॉ.अंगद प्रसाद तिवारी, डॉ.अरुण कुमार सिंह, शोधार्थी सुरेश कुमार प्रजापति, ममता यादव, प्रमोद कुमार यादव, सौरभ यादव, मनोज कुमार सरोज, सुनील कुमार चौरसिया, शना परवीन आदि जुड़े रहे।