गाजीपुर। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग लोगों तक परिवार नियोजन की गुणवत्तापूर्ण सेवा देने का भरपूर प्रयास कर रहा है। इसका उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिला। 11 से 31 जुलाई के बीच चले जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा में स्वास्थ्यकर्मियों ने निष्ठा और लगन से कार्य करते हुये जनपद ने महिला नसबंदी और अंतरा इंजेक्शन में प्रदेश में प्रथम स्थान लाया था। इसके अलावा 631 महिलाओं ने अप्रैल 2020 से जुलाई 2020 के बीच पीपीआईसीयूडी को अपनाया जिसे प्रसव पश्चात लगाया जाता है। यह दो बच्चों के जन्म के बीच पर्याप्त अंतर रखने में बेहद कारगर है। यह माँ और शिशु के लिए लाभदायक है और जब चाहें इसे निकलवा भी सकते हैं।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ के के वर्मा ने बताया कि इस आपदा के प्रारंभ में लॉकडाउन के कारण लोगों का कहीं आना-जाना प्रभावित रहा है, जिससे चाहकर भी परिवार नियोजन की सेवाएं नहीं ले पाए। प्रवासी भी बहुत अधिक संख्या में अपने घरों में वापस आए और लंबे समय तक अपने घरों में रहने पर विवश हुए। इस कारण भी जनसंख्या वृद्धि की संभावना है।
डॉ केके वर्मा ने बताया कि इस आपदा के समय में भी सरकारी अस्पतालों में प्रसव हो रहे हैं। इसलिए, प्रसव के तुरन्त बाद दिए जाने वाले गर्भ निरोधक साधन पीपीआईसीयूडी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी कड़ी में नई रणनीति पीपीआईयूसीडी चैम्पियन की शुरुआत की गई। इस रणनीति का उद्देश्य प्रसव करा रहे डॉक्टरों व स्टाफ नर्सों को प्रेरित करना और अधिक से अधिक संख्या में प्रसव में आने वाली महिलाओं व उनके परिवारों के लोगों को परिवार नियोजन के लाभ बताना और प्रसव के पश्चात कोई न कोई विधि देकर स्वास्थ्य केंद्र भेजना है। इसके लिए रणनीति के तहत सभी प्रसव कराने वाले जिम्मेदार लोगों से फोन द्वारा संपर्क स्थापित करना और उनको प्रेरित भी करना है। उन्होने बताया कि अपना ध्यान रखने के साथ ही यदि प्रसूताओं को परिवार नियोजन के लाभ के बारे में बताया जाता है तो यह भी एक प्रकार की देश सेवा ही होगी। इस क्रम में निर्णय लिया कि जो भी डॉक्टर या स्टाफ नर्स सबसे ज्यादा महिलाओं को पीपीआईयूसीडी के लिए प्रेरित करेगा। उसे उस माह पीपीआईयूसीडी चैम्पियन घोषित किया जाएगा। इसका उद्देश्य एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा स्थापित करना है जिससे स्टाफ स्वयं भी प्रेरित हो सके और लोगों को परिवार नियोजन अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।