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नवजात शिशु के स्तनपान पर गर्भवती के परिजनों को दी गई जानकारी

गाजीपुर। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत हर दिन विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। इसी क्रम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं मुख्य सेविका लाभार्थी के घर-घर भ्रमण कर गर्भावस्था (270 दिन) और जन्म के बाद शिशु की देखभाल (730 दिन) के 1000 दिन के दौरान पोषण पर विशेष ध्यान के साथ ही नवजात शिशु के स्तनपान पर गर्भवती के परिजनों को जानकारी दी गयी।

सैदपुर परियोजना की मुख्य सेविका आशा देवी ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत 314 आंगनबाड़ी केंद्र आते हैं जहां पर कार्यरत 303 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कैलेंडर के अनुसार चयनित लाभार्थियों के गृह भ्रमण के निर्देश दिए गए हैं। आंगनबाड़ियों द्वारा लोगों के घर-घर जाकर कुपोषण से बचने के सभी संभावनाएं के साथ ही स्तनपान के बारे में जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि स्तनपान किसी भी शिशु का प्राकृतिक अधिकार होता है। जनसामान्य में यह धारणा है कि स्तनपान शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। स्तनपान के लाभ इससे भी कई गुना अधिक हैं। जहां एक ओर यह बच्चे के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है, वहीं माता को भी कई तरह की बीमारियों से बचाता है। यह हर रूप में शिशु को सिर्फ और सिर्फ लाभ ही पहुंचाता है। इसकी महत्ता इसी से समझी जा सकती है कि मां के दूध में पर्याप्त पोषक तत्व होते हैं और शिशु को छह माह तक पानी पीने की भी आवश्यकता नहीं होती। मां के दूध से बच्चे को जो बच्चे स्तनपान करते हैं, उनका प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता ही है, साथ ही पीलिया, एलर्जी, अस्थमा व अन्य श्वास संबंधी बीमारियां, सर्दी−जुकाम को दूर रखता है। ऐसे बच्चे कुपोषण के शिकार नहीं होते क्योंकि मां के दूध के रूप में पर्याप्त पोषण मिलता है। स्तनपान शिशु के सिर्फ शारीरिक विकास पर ही सकारात्मक प्रभाव नहीं डालता, बल्कि यह उनके मानसिक विकास में भी सहायक होता है। स्तनपान से बच्चे के साथ−साथ मां को भी उतना ही फायदा पहुंचाता है। यह प्रसव के बाद बढ़ने वाले वजन को नियंत्रित करता है। जब माता ब्रेस्टफीडिंग कराती है तो बिना कुछ किए ही उसकी काफी कैलोरी बर्न हो जाती है। शायद आपको पता न हो लेकिन महिलाओं में होने वाले कैंसर की संभावना को कम करने के लिए स्तनपान कराना आवश्यक है। जो महिलाएं बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ब्रेस्टफीडिंग शुरू करती हैं। उन्हें प्रसव के बाद होने वाले दर्द व रक्तस्त्राव में भी काफी आराम मिलता है। ऐसा ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ऑक्सीटोसिन हार्मोन रिलीज होता है।जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि पोषण के 1000 दिन यानि गर्भावस्था के 270 दिन और जन्म के बाद के शिशु के पहले 730 दिन नवजात के शुरुआती जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है। आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों के मस्तिष्क विकास में भारी नुकसान हो सकता है, जिसकी भरपाई नहीं हो पाती है। शिशु के शरीर का सही विकास नहीं होता तथा उनमें सीखने की क्षमता में कमी, स्कूल में सही प्रदर्शन नहीं करना, संक्रमण और बीमारी का अधिक खतरा होने जैसी कई अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था और जन्म के बाद पहले वर्ष का पोषण बच्चों के मस्तिष्क और शरीर के स्वस्थ विकास और प्रतिरोधकता बढ़ाने में बुनियादी भूमिका निभाता है।