गाजीपुर। जनपद में चल रहे राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग बच्चों, किशोरियों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए तरह तरह के प्रयास कर रहा है। इसी क्रम जिले में बच्चों के पोषण पर खास ध्यान आकर्षित करने के लिए पूरक आहार आधारित पोस्टर तैयार किए गए हैं। आहार पुस्तिका के संदेशों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं घर-घर पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं।
प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी अरुण दूबे ने बताया कि आहार पुस्तिका को देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि किस उम्र के बच्चे को कब और क्या खिलाएं? इस आहार पुस्तिका की थीम है “स्तनपान के साथ सही आहार, स्वस्थ तन और मन का आधार ।” उन्होने बताया कि यह आहार पुस्तिका लोगों को खूब भा रही है । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों को खानपान के बारे में सलाह देती रहती हैं, लेकिन कई बार देखा गया कि उनके द्वारा दिये गये टिप्स माताओं और घर की अन्य सदस्यों को ध्यान नहीं रहते थे। इस वजह से कई बार बच्चों के आहार में कुछ कमी रह जाती थी। अब हमने इसके लिए जानकारी पऱक चार्ट तैयार कराया है। इस चार्ट के माध्यम से छह माह से दो वर्ष तक के बच्चे को कब और क्या खिलाना है, बहुत ही आसान तरीके से समझाया जा सकता है। घर में पोस्टर लग जाने से मां के अलावा दादी व पूरा परिवार जान जाता है कि बच्चे का पूरक आहार क्या है?
जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि आहार पुस्तिका में छह माह से दो वर्ष तक के बच्चों को ऊपरी आहार के रूप में खिचड़ी, दलिया, मसला हुआ केला, मसला हुआ आलू देने आदि के बारे में बताया गया है। नौ से 12 माह तक के बच्चों को खिचड़ी, कटे फल, दाल रोटी, दाल-चावल और दलिया दें। इसी तरह 12 से 18 माह तक के बच्चों को रोटी सब्जी, फल, हलुआ, खीर, दलिया और खिचड़ी खिलाएं। छह से आठ माह के बच्चों को आधी कटोरी आहार दिन में तीन बार, आठ से 12 माह के बच्चों को आधी कटोरी आहार दिन में तीन बार और एक बार नाश्ता। 12 से 18 माह तक 5 कटोरी खाना दिन में पांच बार और एक कटोरी फल नास्ते में दें।
जितेंद्र ने बताया कि आहार पुस्तिका में बताया गया है कि बच्चे को भोजन कराते वक्त आवश्यक स्वच्छता व्यवहार अपनाएं। घर में ताजा बना खाना ही खिलाएं, साबुन से हाथ धोएं। भोजन बनाने से पहले अपने हाथ और बच्चे को भोजन खिलाने से पहले उसके हाथ साबुन से जरूर धोएं। खानपान की स्वच्छता का ध्यान रखें। फल और सब्जियां अच्छी तरह धोकर ही प्रयोग करें। बच्चों को साफ धुली हुई कटोरी में ही भोजन दें। विभाग का प्रयास है कि गृह भ्रमण के दौरान ऊपरी आहार की सही जानकारी गृहणियों तक पहुंचे और पोषण संबंधी व्यवहार को प्रोत्साहन मिले।
सदर ब्लॉक के आंगनबाड़ी केन्द्र कटैला-द्वितीय की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीरा सिंह ने बताया कि आहार पुस्तिका से उन्हें काफी लाभ हुआ है। पोषण के बारे में बच्चों की माताएं समझती तो पहले भी थीं लेकिन वह उनके द्वारा बताई हुई सभी कुछ याद नहीं रख पातीं थीं। अब पोस्टर घर में ही लगा दिया जाता है और अलग से समझा भी दिया जाता है। अब बच्चों की माताएं इसे देख कर बच्चों का सही पोषण कर रही हैं। पोस्टर की खास बात यह है कि जो महिला बिल्कुल भी पढ़ी-लिखी नहीं हैं, वह भी इसमें बनी तस्वीरों से क्या और कितना खिलाएं समझ जाती हैं।