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पूर्व नेशनल खिलाड़ी बच्चों को प्रशिक्षित कर खिलाड़ियों की तैयार कर रहे नर्सरी

कंदवा(चन्दौली)। अपने समय के नेशनल खिलाड़ी रहे परसिया गांव निवासी जंगबहादुर ने खेलों में क्षेत्र का नाम रौशन करने के साथ ही अन्य युवाओं को भी अच्छा खिलाड़ी बनाया। अब वे बच्चों को प्रशिक्षित कर देश के लिए खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार कर रहे हैं।

गांव में आस-पास के करीब एक दर्जन से अधिक गांवों के बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं।उनसे प्रशिक्षण लेने वाले खिलाड़ी विभिन्न प्रतियोगिता में पदक जीत रहे हैं और क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं।उसी नर्सरी से एसपी रोलैंड मिलिट्री स्कूल कम्हरिया के आठवीं कक्षा के छात्र बरिली गांव निवासी हरिओम यादव का चयन नेशनल हास्टल सिंगरौली मध्यप्रदेश में हुआ है। इससे कोच व घर वालों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अपने समय के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे जंगबहादुर वर्तमान में एसपी रोलैंड मिलिट्री स्कूल कम्हरिया में खेल शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।जहां वे स्कूल के साथ साथ क्षेत्र के दर्जनों बच्चों को प्रशिक्षित करते हैं।इनके कोचिंग सेंटर से कई ऐसे खिलाड़ी निकले हैं जो आज देश में क्षेत्र व जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं।जिनमें ओलम्पियन संजय राय,डॉ भारत भूषण,नसीम अहमद कमांडेंट आरपीएफ,लालसा प्रसाद कमाण्डेन्ट पीएसी मिर्जापुर,विनय सिंह उपनिरीक्षक यूपी पुलिस आदि शामिल हैं। परसिया गांव निवासी जंगबहादुर को बचपन से ही खेलों का शौक था।खासकर दौड़ व वालीबाल में उनकी ज्यादा रुचि थी।खेलों व शिक्षा में अव्वल रहने के कारण उनका चयन नेशनल खिलाड़ी के रूप हो गया।अब भी उनके अंदर का खिलाड़ी उन्हें चैन से सोने नहीं देता है।सुबह व शाम जब वह सड़क किनारे गांव के बच्चों को दौड़ लगाते हुए देखते हैं तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आ जाते हैं।उसके बाद उन्होंने सड़क किनारे दौड़ लगाने वाले बच्चों को बुलाकर प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।धीरे- धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती चली गई और आस-पास के गांव के बच्चे भी वहां आने लगे।वर्तमान में एक दर्जन गांवों के बच्चे उनसे प्रशिक्षण लेने आते हैं।यह बच्चे निजी,सरकारी स्कूलों व कालेजों के हैं।इन खिलाड़ियों को वे करीब पांच से छह घण्टे तक कड़ा प्रशिक्षण देते हैं।जिस बच्चे की रुचि जिस खेल में होती है,उसे उसी खेल का प्रशिक्षण दिया जाता है।पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी जंगबहादुर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में शारीरिक क्षमता ज्यादा होती है,परंतु उन्हें सही प्रशिक्षण व सुविधाएं नहीं मिल पाती, जिस कारण वे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।मैं बस उन्हें अपने अनुभव को बांटकर खेलों के लिए प्रेरित करता हूं।मैं बच्चों को प्रशिक्षण लेते हुए देखता हूं तो मन को अपार खुशी मिलती है।