कन्दवा(चन्दाैली)। क्षेत्र के अरंगी गांव में चल रही रामलीला के छठवें दिन बृहस्पतिवार की रात हनुमान- राम- सुग्रीव मिलन, बालि वध, हनुमान का समुद्र पारगमन, सीता दर्शन और लंका दहन की मार्मिक व मनोहारी लीलाओं का मंचन किया गया। राम – हनुमान व सीता- हनुमान मिलन देख भक्तों ने हर हर महादेव व जय श्रीराम के नारे लगाए ।
बृहस्पतिवार की लीला में दो धनुर्धारी युवकों को देखकर सुग्रीव भयभीत हो उठते हैं और हनुमान को उनका पता लगाने के लिए भेंजते हैं। हनुमान ब्राह्मण का वेश बनाकर कर वहां जाते हैं लेकिन वह राम को पहचान नहीं पाते हैं। जब हनुमान को पता चलता है कि यह श्रीराम हैं तो वह व्याकुल होकर उनके चरणों में गिर जाते हैं।राम उन्हें गले से लगा लेते हैं। हनुमान उन्हें लेकर सुग्रीव के पास जाते हैं व पूरी बात बताते हैं। राम सुग्रीव को बालि की त्रास से मुक्ति दिलाने का वचन देते हैं लेकिन सुग्रीव सशंकित रहते हैं। वह कहते हैं कि यदि आप एक बाण से ताड़ के सात वृक्षों को गिरा देंगे तो मुझे यकीन हो जाएगा। श्रीराम एक ही बाण से सातों ताड़ के वृक्षों को गिराकर सुग्रीव की शंका को दूर करते हैं। राम के कहने पर सुग्रीव बालि को युद्ध के लिए ललकारते हैं। राम पेड़ों की ओट से बाण छोड़ते हैं जो बाली के हृदय में लगता है। घायल बालि कहता है कि हे राम मेरी तो आपसे कोई शत्रुता भी नहीं थी फिर आपने ऐसा क्यों किया। राम उसे समझाते हैं और बालि अपने प्राण त्याग देता है। बालि के पुत्र अंगद को युवराज घोषित कर देते हैं।उसके बाद लंका दहन की लीला का मंचन किया गया। जिसमें रावण कहता है कि बंदर को सबसे ज्यादा प्यारी पूंछ होती है इसलिए इसके पूंछ को जला दिया जाए। पूंछ में आग लगते ही हनुमान उछल कूद कर पूरे लंका को जला डालते हैं।