जमानियां। भगवान विष्णु के तुलसी को शिरोधार्य करने के प्रतीक पर्व देवोत्थान एकादशी पर बुधवार को नगर के परशुराम जम्दग्नि ऋषि घाट उर्फ बलूआ घाट पर भक्तो की भीड़ स्नान एवं पूजन अर्चन के लिए उमडी। घरों में तुलसी विवाह की धूम रही और गन्ने की नई फसल का पूजन कर सुख-समृद्धि के लिए प्रकृति की देवी का आह्वान किया गया।
बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई एवं एकादशी का व्रत रखकर दान-पुण्य किया।
ज्योतिष आचार्य संतोष पाण्डेय ने बताया कि कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली देवोत्थान एकादशी को हरि प्रबोधिनी एकादशी अथवा कार्तिकी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने तुलसी को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। यही वजह है कि सनातनी परंपरा में प्रत्येक वर्ष इस दिन तुलसी-शालीग्राम विवाह का आयोजन किया जाता है। तहसील क्षेत्र में बुधवार को महिला श्रद्धालुओं ने धूमधाम से तुलसी विवाह किया। शाम को गन्ना, चावल और सूखी लाल मिर्च के साथ भगवान विष्णु का तुलसी के साथ विवाह कराया गया। इसके बाद उक्त सामग्री और अन्य वस्तुओं का ब्राह्मणों में दान किया गया। इस दौरान पुलिस प्रशासन भी चौकन्ना रही और चक्रमण करती रही। वही कई जगहों पर पुलिस तैनात रही।