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दिव्यांग मां -बेटे को शौचालय की दरकार

कंदवा(चन्दौली)। बीमारी से वर्षों पूर्व आंखों की रोशनी खो चुकी बरहनी विकास खण्ड के ककरैत गांव निवासी कलावती और उसके पुत्र वीरेंद्र को स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत मिलने वाले शौचालय की दरकार है।

बरहनी विकास खंड के ककरैत निवासी चंद्रमा चौधरी की पत्नी कलावती जहां आंखों से दिव्यांग हैं वहीं तीन पुत्रों में से एक पुत्र वीरेन्द्र भी पूर्व में हुए एक सड़क हादसे में दिव्यांग हो चुका है।आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण घर में खुद का शौचालय निर्माण कराना इस परिवार के लिए संभव नहीं है। ऐसे में परिवार में मौजूद दो दिव्यांग मां -बेटा बाहर खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।चंद्रमा चौधरी ने बताया कि सुबह-शाम दिव्यांग पत्नी को शौच के लिए बाहर लेकर जाना पड़ता है। गौरतलब है कि पैतृक संपत्ति में मिली जमीन के चंद टुकड़ों से परिवार का भरण पोषण व जीविकोपार्जन होता है।केन्द्र सरकार द्वारा मिलने वाले किसान सम्मान निधि से भी चंद्रमा चौधरी वंचित हैं। दिव्यांग पत्नी व बेटे को अब तक दिव्यांग पेंशन भी मयस्सर नहीं हुआ है। चंद्रमा की मानें तो जनप्रतिनिधियों सहित विभागीय अधिकारियों से शौचालय निर्माण की गुहार लगाई गई लेकिन नतीजा सिफर रहा। यह तो एक उदाहरण मात्र है।लेकिन क्षेत्रीय लोगों की मानें तो बरहनी विकास खंड में कई ऐसे वास्तविक पात्र हैं जो गंवई राजनीति की चक्की में पिसकर सरकारी योजनाओं से वंचित रह जा रहें हैं।इस सम्बंध में जिला पंचायत राज अधिकारी ब्रह्मचारी दुबे का कहना है कि पात्रता की श्रेणी में सम्मिलित लोगों को चिन्हित किया जा रहा है। जल्द ही इन दिव्यांग मां -बेटे को शौचालय सहित अन्य सुविधाएं मिल जाएंगी।