गाजीपुर। शरीर को निरोगी रखने के लिए हाथों की सही तरीके से सफाई में ही सभी की भलाई है । यह बात बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को समय-समय पर समझाई जा रही है क्योंकि कोरोना ने इसकी महत्ता को और बढ़ा दिया है । एक तरीके से यही सही मौका है कि हम इस आदत को इस तरीके से जीवन में ढाल लें कि फिर कभी इसको लेकर कोई चूक हो ही नहीं । चिकित्सकों का स्पष्ट कहना है कि कोरोना ही नहीं कई अन्य बीमारियों से बचने के लिए साबुन-पानी से हाथों की अच्छी तरीके से कम से कम 40 सेकेण्ड तक सफाई बहुत जरूरी है ।
मोहम्मदाबाद के चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय का कहना है कि तमाम तरह के वायरस, बैक्टीरिया या मैल हमारे हाथों से होकर मुंह तक पहुँचते हैं और फिर शरीर के अन्दर या पेट तक पहुंचकर बीमारियों को जन्म देते हैं । इसलिए कोरोना ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने से बचना है तो समय-समय पर हाथों की स्वच्छता के सुनहरे मौके को कदापि न गँवाएं । उनका कहना है कि जब हम किसी से हाथ मिलाते हैं, वस्तुओं का हाथों के सहारे लेन-देन करते हैं या किसी वस्तु या सतह को स्पर्श करते हैं तो वहां मौजूद संक्रमण आसानी से हमारे हाथों तक पहुँच जाते हैं और ऐसे में अच्छी तरह से हाथों की सफाई किये बगैर कुछ भी खा कर-पी कर या आँख, नाक, कान या मुंह को छूकर बीमारियों को अनजाने में दावत दे बैठते हैं ।
जब तक दवाई नहीं तब तक हाथ धुलने में कतई ढिलाई नहीं :
कोरोना के संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए भी हाथों को अच्छी तरह से धुलाई करने में तब तक किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतनी है जब तक की इसकी कोई मुकम्मल दवाई नहीं आ जाती है । पिछले नौ महीने से इस बारे में हर कदम पर लोगों को सचेत किया जा रहा है, इसलिए खुद के साथ दूसरों को सुरक्षित बनाने के लिए इसका सौ फीसद पालन करना सभी के लिए जरूरी है । विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा बराबर बताया जा रहा है कि हाथों की समय-समय पर अच्छी तरह से सफाई करके करीब 90 फीसद तक कोरोना से अपने को सुरक्षित बना सकते हैं ।
जिला अस्प्ताल में कार्यरत चिकित्सक व पूर्व क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश सिंह ने बताया की हाथ धोने का सही तरीका :
हाथ धोने का सही तरीका जानने या समझने के लिए ‘सुमन-के’ (SUMAN-K) फार्मूला का ध्यान रखना सभी के लिए बहुत जरूरी है । इसके हर अक्षर में हाथ धोने के वह गूढ़ रहस्य छिपे हैं जो कि हाथों को वायरस या बैक्टीरिया से मुक्त करने में पूरी तरह कारगर हैं । इसके मुताबिक़ ‘स’ का मतलब है कि पहले सीधा हाथ धुलें, ‘उ’ का मतलब है कि उल्टी तरफ से हाथ धुलें, ‘म’ का मतलब है कि मुठ्ठियों को अन्दर से धुलें, फिर ‘अ’ का मतलब है कि अंगूठों को धुलें, ‘न’ बताता है कि नाखूनों को रगड़-रगड़ कर अच्छे से धुलें क्योंकि नाखूनों में आसानी से मैल जमा हो सकती है और आखिर में ‘के’ का मतलब है कि उँगलियों के बाद कलाई को भी धुलना बहुत जरूरी है । इस तरह से बार-बार कम से कम 40 सेकेण्ड तक हाथ धुलने के मौके का फायदा सभी को उठाना चाहिए ताकि बीमारियाँ हमारे शरीर को अपना घर न बना सकें ।
सर्दियों में न करें कंजूसी :
सर्दियों में पानी ठंडा होने के कारण हाथों की सही सफाई से कतई न चूकें क्योंकि यही छोटी सी भूल मुसीबत में डालने के लिए बहुत बड़ी बन सकती है । इसके साथ ही लम्बे समय तक बाहर रहने से तमाम तरह के वायरस या बैक्टीरिया के साथ ही धूल कणों के प्रभाव से शरीर को सुरक्षित बनाने के लिए नियमित रूप से स्नान करना भी बहुत ही जरूरी है ।
किन बीमारियों से होगी रक्षा :
अच्छी तरह से हाथों की स्वच्छता को बनाए रखकर एक नहीं अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है । इसमें डायरिया, दस्त, पेट दर्द, कुपोषण, कृमि संक्रमण, फ्लू, त्वचा सम्बन्धी रोग, आँख सम्बन्धी बीमारियां प्रमुख हैं । वायरस, बैक्टीरिया या गंदगी हाथों से होते हुए मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश पा जाते हैं और अन्दर पहुंचकर वह कई बीमारियों को जन्म देते हैं ।
बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए भी जरूरी :
भारत सरकार के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक से 19 साल के करीब 76 फीसद बच्चों में कृमि संक्रमण की बात कही गयी है । इसके अलावा एक से पांच साल के बच्चों की होने वाली कुल मौत में से 10 फीसद मौत डायरिया या दस्त के कारण होती है । इन बीमारियों का भी रिश्ता सीधे तौर पर हमारे हाथों की सफाई से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह कृमि या डायरिया हमारे हाथों में मौजूद गंदगी को पेट तक पहुंचाते हैं जिसके बाद ही इनका संक्रमण शुरू होता है । यह ऐसी बीमारियाँ हैं जो बच्चों को कुपोषण की जद में पहुंचा देती हैं जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है । इसलिए बच्चों के सम्पूर्ण विकास को ध्यान में रखकर भी हाथों की सफाई के मौके से हमें कदापि नहीं चूकना चाहिए ।
कब-कब हाथ धुलना न भूलें :
– शौच के बाद
– कुछ भी खाने-पीने से पहले
– खाना बनाने से पहले
– बच्चों को खाना खिलाने व स्तनपान कराने से पहले
– किसी भी सतह या वस्तु को छूने के बाद