जमानियां। स्थानीय कोतवाली क्षेत्र के बड़ेसर स्थित मुख्य नहर में युवक के डूबने की सूचना पर बीते मंगलवार की सुबह से ही हलकान पुलिस तमाम कोशिश के बाद भी युवक का शव बरामद नहीं कर पाई है। नहर में डूबे युवक का शव अगले दिन भी नहर से बरामद न होना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
पुलिस की ओर से बुधवार को दोपहर बाद भी नहरों में शव की तलाशी अभियान जारी होने के बाद भी कहीं से शव बरामद नहीं हुआ। ऐसे में अब यह चर्चा भी होने लगी है कि शौच के बाद युवक के नहर में डूबने की सूचना कहीं फर्जी तो नहीं। गौरतलब है कि युवक के नहर में डूबने की सूचना मिलते ही तत्काल सक्रिय हुई पुलिस ने पंप गृह से नहर में पानी बंद करा दिया। स्थानीय क्षेत्र सहित सुहवल, नगसर, दिलदारनगर, और गहमर थाना क्षेत्र में पड़ने वाले नहरों में युवक के शव को बरामद करने का अभियान चलाया गया। मंगलवार से ही तलाशी अभियान चल रहा है। नहरों का दायरा भी सीमित ही है और नहरों में पानी न होने पर कोई भी बड़ी वस्तु को आसानी से देखा जा सकता है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि यदि वास्तव में युवक नहर में डूबा है और डूबने से उसकी मौत हुई है तो उसका शव नहर में ही होना चाहिए था। परंतु कई किलोमीटर तक चले तलाशी अभियान के बाद भी युवक का कुछ पता नहीं चलना युवक के नहर में डूबने की कहानी पर संदेह पैदा कर रहा है। बहरहाल पुलिस अभी भी युवक के दोस्तों के कहने पर युवक की बरामदगी के लिए नहर में तलाशी अभियान चला रही है। हालांकि युवक की बरामदगी नहीं हुई तो पुलिसिया जांच की दिशा दूसरी ओर घूम सकती है। और उसमें युवक के दोस्तों से पूछताछ भी संभव है। इस संबंध में कोतवाल राजीव कुमार सिंह ने बताया कि खोजबीन की जा रही है अभी तक सोनभद्र जनपद के पटना गांव निवासी अखिलेश कुमार विश्वकर्मा (40 ) का कुछ पता नही चल पाया है। प्रयास जारी है।
36 घंटे से नहर बंद, किसान परेशान
जमानियॉं। युवक की डूबने की सूचना पर स्थानीय प्रशासन ने मुख्य नहर का पानी बंद करवाकर युवक के शव की खोज विन में जुट गये। लेकिन 36 घंटे बीत जाने के बाद भी शव की बरामदगी नहीं हो पायी। इधर नहर बंद होने से किसान परेशान हो गये। ज्ञात हो कि इस समय गेहूँ की सिचाई जोर शोर से हो रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी के डूबने की सूचना पर 36 घंटा नहर बंद हुआ हो। किसान मनोज कुमार, टुनटुन, राजेन्द्र सिंह, भरत सिंह आदि ने बताया कि गेहूँ में पानी भरा जा रहा था कि अचानक नहर बंद हो जाने से काफी परेशानी हुई। गेहूँ के खेत में बार बार पानी जाने से गेहूँ की फसल खराब होने का डर बन गया है। कोई डूबता है तो दो-चार घंटे ही नहर बंद होती थी लेकिन मात्र संदेह के आधार पर इतनी देर तक नहर बंद करवाना किसानों पर कुठाराघात है।