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भक्ति एवं ज्ञान के सागर में गोते लगते रहे भक्त

गहमर(गाजीपुर)। स्थानीय गांव के  गोविंद राय पट्टी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन (कुबेर निवास)में चल रहे आठ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा एवं महापुराण ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथावाचक डॉ राजकुमार तिवारी ने भागवत कथा श्रवण के महत्व बारे में श्रद्धालुओं को विस्तार से जानकारी दी।

कथा वाचक डॉक्टर राजकुमार तिवारी ने चौथे दिन की कथा में भगवान श्री राम विवाह, भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव, देवासुर संग्राम, समुद्र मंथन के साथ बामन अवतार की कथा को विस्तार से बताते हुए कहा कि बामन भगवान राजा बलि से तीन पग भूमि मांगा। जिस पर दो पग में ही पूरा ब्रह्मांड नाप दिया। देवाशुर संग्राम पर विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि असुरों ने वृषचर्म (मानदण्ड, नपना) लेकर पूर्व-पश्चिम नापकर बाँटना शुरू किया। देवताओं ने जब सुना तो उन्होंने परामर्श किया और बोले की असुर लोग पृथ्वी को बाँट रहे हैं, हमें भी उस स्थान पर पहुँचना चाहिए। देवताओं ने सोचा कि यदि हम लोग पृथ्वी का भाग नहीं पाते हैं, तो हमारी क्या दशा होगी। यह सोचकर देवताओं ने भगवान विष्णु को आगे किया और जाकर कहा कि- “हम लोगों को भी पृथ्वी का अधिकार प्रदान करो।”असूयावश असुरों ने उत्तर दिया कि जितने परिमाण के स्थान में विष्णु व्याप सकें, उतना ही हम देंगे। विष्णु वामन थे। देवताओं ने इस बात को स्वीकार कर लिया। देवता आपस में विवाद करने लगे कि असुरों ने हम लोगों को यज्ञ भर करने के लिए ही स्थान दिया है।
देवताओं ने विष्णु को पूर्व की ओर रखकर अनुष्टुप छन्द से परिवृत किया तथा बोले- “तुमको दक्षिण दिशा में गायत्री छन्द से, पश्चिम दिशा में त्रिष्टुप छन्द से और उत्तर दिशा में जगती छन्द से परिवेष्टित करते हैं।” इस तरह उनको चारों ओर छन्दों से परिवेष्टित करके उन्होंने अग्नि को सन्मुख रखा। छन्दों के द्वारा विष्णु दिशाओं को घेरने लगे और देवगण पूर्व दिशा से लेकर पूजा और श्रम करते आगे-आगे चलने लगे। इस तरह से देवताओं ने पृथ्वी को फिर से प्राप्त कर लिया। काफी देर तक भक्त भक्ति एवं ज्ञान के सागर में गोते लगते रहे। मंगलवार की कथा के मुख्य यजमान हरिबंश उपाध्याय, पार्वती देवी एवं नयनतारा देवी रही। इस अवसर पर कृष्णानंद उपाध्याय, अरविंद, गोपाल उपाध्याय, शशि सिंह, शिवांश तिवारी, शोभा बिन्द, शेषनाथ उपाध्याय, सिंटू उपाध्याय, प्रेम खरवार, कपिलदेव सिंह, राजेन्द्र दूबे, विनोद, अर्चना, माया, रामाश्रय प्रजापति, अंशुमान, बंगाली बाबू, दामोदर मास्टर आदि लोग मौजूद रहे।