नगसर(गाजीपुर)। स्थानीय क्षेत्र के विशुनपुरा में चल रहे भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास भृगुभूषण ओझा ने जीवन जीने की व्यवस्था को बताते हुए कहा कि जीवन मे सत्संग महत्वपूर्ण है लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कुसंगती से बचना क्योंकि अच्छे लोगो के साथ रहकर हम कितने दिन में अच्छे बन पाएंगे यह नही कहा जा सकता लेकिन बुरी संगत करने से कम समय मे ही जीवन मे बुराइया आ जाती है।
माता कैकेयी श्री राम जी से अतिसय प्रेम करती थी लेकिन मंथरा के साथ पल भर में किया गया कुसंग माता कैकेयी के हृदय को प्रभु श्री राम प्रेम से विचलित करके माता कैकेयी को अपयश का पात्र बना दिया ।कहा भी गया है “संगत से गुण होत है संगत से गुण जात”इसीलिए इस मानव जीवन की सार्थकता तभी सम्भव है जब हम अधिक से अधिक सत्संग करें और बुराइयों से बचे।