(सुशील कुमार की रिपोर्ट)
मलसा (जमानियां) अति प्राचीन स्वयंभू झारखण्डे महादेव भगीरथपुर के प्रांगण में आयोजित पंचदिवसीय श्रीराम कथा में भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि रामकथा जीवन जीने की कला सिखाती है,यह भी कह सकते हैं कि रामकथा मानव जीवन व्यतीत करने के लिए एक संविधान है।यह वह संविधान है जिसमें बचपन से लेकर मृत्यु तक की यात्रा के दौरान मानव को कैसे रहना है,एक दूसरे के साथ कैसे व्यवहार करें वह सभी सूत्र रामकथा के तहत प्राप्त हो जाता है।
माता पिता, पुत्र पुत्री,पति पत्नी से लगायत जितने भी रिश्ते संसार में जाने और निभाए जाते हैं उन्हें मर्यादा के साथ कैसे निभाया जाता है उसे रामजी ने अपनी जिंदगी में जी कर दिखला दिया है।संत राघवाचार्य राहुल जी महाराज ने कहा कि जहां पर धर्म का कार्य होता है वहां पर धार्मिक लोग बुलाने पर आते हैं और कुछ कुछ बुलाने पर भी नहीं आते हैं लेकिन राक्षसी सोच के लोग बगैर निमंत्रण के ही बाधा डालने के लिए आ ही जाते है।। जरूरत है सत्य संकल्प का, यदि अपनी अंतरात्मा गवाही देती है कि इस काम को करने से तुम्हारा कल्याण होगा तो लाख बाधा उत्पन्न हो लेकिन उस काम को करने के लिए तन मन और वन से जुट जाइए। आयोजन में बुच्चा जी, विवेकानंद, राधेश्याम चौबे, कैलाश यादव ने भी कथा अमृत पान कराया।