Skip to content

ऑक्सीजन रेगुलेटर के अभाव को इंजेक्शन सिरिंज से पूरा कर मरीजों को जीवन दे रहा वार्ड ब्वॉय

गाजीपुर। कोविड-19 महामारी के वक्त कुछ लोग जहां आपदा को अवसर बना रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इस महामारी में भी अपनी जान की परवाह किए बगैर सिर्फ और सिर्फ लोगों की कैसे मदद किया जा सके और उनकी जान कैसे बचाया जाए इस बारे में सोचने में ही व्यस्त है। और उसको अंजाम देने में ऐसे ही एक वार्ड बॉय जिला अस्पताल में कार्यरत है जिन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर में लगने वाले रेगुलेटर की कमी को इंजेक्शन सिरिंज से जुगाड़ कर लोगों को ऑक्सीजन देना शुरू किया। अब तक दर्जनों मरीजों की जान बचा चुके हैं । जी हां यह गाजीपुर के जिला अस्पताल में कार्यरत वार्ड बॉय पिंटू कश्यप है जिन्होंने 20 एमएल के सिरिंज से मौजूदा समय में रेगुलेटर की कमी को मात देकर लोगों को जिंदगी देने का काम कर रहे हैं। हालांकि मौजूदा समय की बात करें तो गाजीपुर के जिला अस्पताल में रेगुलेटर की आपूर्ति कर दी गई है। और मौजूदा समय में रेगुलेटर की कोई कमी नहीं है।

वार्ड बॉय पिंटू कश्यप ने बताया कि जिला अस्पताल में पिछले दिनों में ऑक्सीजन सिलेंडर की कोई कमी नहीं थी। इसमें लगने वाले रेगुलेटर की कुछ कमी थी । जिसकी वजह से चाह कर भी मरीजों को ऑक्सीजन नहीं दे पा रहे थे । तब उन्होंने एक 20ml का सिरिंज जिसका पिछला हिस्सा काटकर निकाल दिया और फिर उस पर माइक्रो टेप चिपकाकर उसे 2 मिनट इंजेक्शन के पिछले हिस्से को आग से गर्म किया । ताकि उसकी प्लास्टिक कुछ नरम हो जाए और फिर उसे ऑक्सीजन सिलेंडर में बैठा देते है। ऑक्सीजन सिलेंडर में सिरिंज फिट हो जाने के बाद उसके अगले हिस्से में ऑक्सीजन मास्क में लगे पाइप का कुछ हिस्सा काटकर ऑक्सीजन सिलेंडर में लगे इंजेक्शन में फिट कर देते है। फिर ऑक्सीजन खोला तो मरीज की जिंदगी बचनी शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन रेगुलेटर का इंतजार करने की बजाय लोगों की जिंदगी बचानी प्रमुखता समझी इसलिए मैंने यहां के डॉक्टरों को इसकी जानकारी देकर लोगों की जिंदगी बचाने शुरू कर दिया।

मेडिसिन वार्ड में ड्यूटी दे रहे डॉ स्वतंत्र सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल में पिछले दिनों रेगुलेटर की कुछ कमी थी। जिसके बाद पिंटू के द्वारा इस जुगाड़ के माध्यम से लोगों को जिंदगी दी जा रही है। जिससे अब तक दर्जनों लोगों की जिंदगी बच चुकी है। हालांकि मौजूदा समय में रेगुलेटर की सप्लाई जिला अस्पताल को हो चुकी है। लेकिन अभी भी पर्याप्त मात्रा में रेगुलेटर नहीं मिल पा रहा है । जिसकी वजह से जुगाड़ के सहारे इसने ऑक्सीजन देना शुरू किया और अभी तक यह कामयाब है।

वही बिहार से आए मरीज के परिजन अनिश कुमार गुप्ता से जब इस तरह से ऑक्सीजन दिए जाने के संबंध में बात की गई तो उसने बताया कि सुबह जब उसके पिता जिला अस्पताल पहुंचे थे। तब वह काफी छटपटा रहे थे और उन्हें ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत थी। जिसके बाद उन्हें इस तरीके से ऑक्सीजन मिलना शुरू हुआ और अब उनके पिता की हालत में काफी सुधार है।