जमानिया। क्षेत्र में लॉकडाउन का कोई असर नहीं दिख रहा है। बाजारों में सामान्य दिनों की तरह भीड़ लग रही है और शारीरिक दूरी का पालन तो दूर लोग मास्क का भी प्रयोग नहीं कर रहे है। हैरानी की बात तो यह है कि पहले सरकारी सिस्टम शारीरिक दूरी मास्क न लगाने पर कार्रवाई भी लगातार की जा रही है। लेकिन ये कार्रवाई का भी लोगों को कोई भय नहीं दिखाई दे रहा है। इसे प्रशासन की कमी कहें या लोगों की लापरवाही।
नगर के बाजार‚ स्टेशन बाजार सहित सड़क के किनारे दुकानदार अपनी दुकान के आगे बैठे रह रहे है और जब कोई ग्राहक आ रहा है तो उसे गुपचुप तरीके से दुकान के अंदर ले जा कर सामान बेच रहे है। वही ग्रामीण इलाकों में तो दुकानें पूरी तरह से खुली हुई है। पुलिस के आने की खबर से लोग दुकानों को बंद कर इधर उधर हो जा रहे है। प्रशासन ने भी इस बार लोगों के साथ कड़ाई कम कर दी है। इसका कारण भी लाजमी है पुलिस बल कि कमी है और कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मी भी कोरोना महामारी की चपेट में आ चुके है। कोतवाली के करीब 30 से अधिक पुलिसकर्मी कोतवाली में ही आइसोलेट है। इसी का फायदा दूकानदार उठा रहे है और चोरी से दुकानों को खोल कर सामान बेच रहे है। इतना ही नहीं सब्जी मंडियों में तो बिना मास्क के भी लोग सामान बेचते और खरीदते हुए नजर आ रहे है। इन मंडियों में शारीरिक दूरी संबंधी नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं और रोकने वाला कोई नहीं। हालात यह हैं कि बाजार में न तो कहीं पुलिस नजर आ रही है और न ही तहसील प्रशासन नजर आ रहे हैं। लॉकडाउन के इस दौर में फल-सब्जी की दुकान लगाने वाले व्यापारियों ने रोड पर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पूरी सब्जी मंडी लगा रहे है और प्रशासन सुध लेने को तैयार नहीं। कमोवेश बैंकों और उसके एटीएम में भी यही स्थिति है। ऐसे में यदि प्रशासन और आम लोग नहीं चेते तो भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है और कोरोना के संक्रमण को रफ्तार मिल सकती है। पहले ही क्षेत्र में लाशों के मिलने का सिलसिला जारी है।