जमानियां। विकास खंड स्थित कृषि केंद्र पर ढैंचा बीज की मांग बढ गयी है। हरी खाद के लिए ढैंचा बीज सर्वोत्तम माना जाता है। बारिश होते ही किसान जमीन की पैदावार को बढ़ाने के लिए ढैंचा बीज के लिए बड़ी संख्या में कृषि केंद्र पर पहुंच रहे है और जरूरत के अनुसार बीज भी ले रहे है।
ज्ञात हो कि हरी खाद के लिए ढैंचा की बोआई मई में शुरू होती है। फसल की बोआई के 40 से 60 दिन के अंदर गहरी जुताई करा फसल को मिट्टी में मिलाया जाता है। किसान बबलू सिंह बताते है कि हरी खाद को पलटते समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। फसल में फूल आने से पूर्व हरी खाद के लिए सर्वोत्तम होती है। प्रति बीघा ढैंचा की बोआई के लिए 20 किलो बीज पर्याप्त होता है। भूमि में जीवांश पदार्थ व पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि होती है। पोषक तत्वों का निछालन कम से कम होता है। साथ ही पोषक तत्वों के संग्रहण की क्षमता बढ़ जाती है। भूमि की जल धारण, संचयन एवं वायु संचार क्षमता में वृद्धि होती है। भूमि में कार्य करने वाले लाभदायक जीवाणुओं की क्रियाशीलता में भी बढ़ोत्तरी होती है। फसल उत्पादन में वृद्धि के साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है। खरपतवार नियंत्रण में आसानी होती है। पौधों में रोग व कीटों के लगने की संभावना कम हो जाती है। नत्रजन की मात्रा बढ़ती है। हरी खाद क्षारीय भूमि को सुधारकर खेती के योग्य बनाती है। यही कारण है कि ढैंचा बीज के लिए किसान केंद्र का रूख कर रहे है। प्रभारी राजकीय कृषि निवेश केंद्र दीपक कुमार सिंह ने बताया कि ढैंचा का बीज 20 कुंटल 55 सौ प्रति कुंटल के दर से उपलब्ध है। बताया कि धान पीआर 121 करीब 40 कुंतल 3610 रुपये प्रति कुंटल‚ धान एचयूआर 917 5 कुंटल 4480 रूपये प्रति कुंटल उपलब्ध है। पहले आओ पहले पाओं के आधार पर दिया जा रहा है। बताया कि ढैंचा का बीज सीधी और धान सीधी बोआई करने वाले किसानों को दिया जा रहा है। सीधी बोआई करने वाले किसानों को बजट के हिसाब से सब्सिडी भी दी जाती है। ढैंचा का बीज हरी खाद में उपज बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। बारिश शुरू होते ही किसान केंद्र पर आने लगे है। कोविड को देखते हुए सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुछ दिनों में अरहर‚ मुंग‚ उड़द व धान की अन्य किस्में भी आयेंगी। किसान इसका लाभ ले सकते है। बीज लेने वाले किसान बबलू सिंह‚ पिंटू सिंह‚ पप्पू सिंह‚ महमूद खां आदि मौजूद रहे।