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अनाथ बच्चों के मामले में सरकार पर उठे सवाल

दिल्ली। कोरोना महामारी के दूसरी लहर का असर संपूर्ण देश पर पड़ा है। इस महामारी के कारण सबसे ज्यादा मासूम बच्चों पर असर हुआ है। भारत में 9346 बच्चे अनाथ हो चुके हैं। कई बच्चों ने अपने माता और पिता दोनों को खो दिया है और कितने बच्चों के सिर से सिर्फ एक का साया उठा है महाराष्ट्र सरकार ने इन मामलों को कोर्ट में पेश किया। माता-पिता दोनों को 141 बच्चों ने खोया है और 4451 बच्चों ने केवल माता या पिता में से किसी एक को खोया है। अनाथ बच्चों का मामला सबसे ज्यादा है यूपी का है। उत्तर प्रदेश में 2110 बच्चे अनाथ हुए हैं। अनाथ बच्चों के मामले में दूसरे नंबर पर बिहार है जहां 1327 बच्चों ने अपने माता पिता को खोया है। केरल में 952 बच्चे अनाथ हुए हैं और मध्य प्रदेश में 712 बच्चे अनाथ हुए। इन आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश अनाथ बच्चों के मामले में सबसे पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर बिहार, तीसरे नंबर पर केरला और चौथे नंबर पर मध्यप्रदेश है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह एनसीपीसीआर की वेबसाइट ‘बाल स्वराज’ पर पूरा डाटा जल्द अपलोड करें। अनाथ बच्चों के लिए बाल कल्याण योजना पर सवाल भी उठाया जा रहा है।1 मार्च से 30 जून के बीच अनाथ हुए सभी बच्चों को सरकार ₹5000 महीने में देती है। इस योजना का लाभ अभी तक केवल 250 बच्चों तक ही पहुंचा है। और बाकी के सभी बच्चे इस योजना से अनजान है।प्रशासन पर ऐसे सवाल लगातार उठ रहे हैं कि अनाथ बच्चों के लिए एक जैसी योजनाएं क्यों नहीं बनाई गई है। पहले बच्चों को केवल ₹2000 ही मिलते थे किंतु 1 मार्च 2021 के बाद बच्चों को ₹5000 महीना और शिक्षा की पूरी सुविधाएं दी जा रही हैं।