जमानिया। राधा-माधव ट्रस्ट सब्बलपुर में कोविड प्रोटोकॉल का पूर्णतः पालन करते हुए आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि भगवान की विशेषता के बिषय में वेद, पुराण, उपनिषद ही नहीं अपितु संत महात्मा भी कह पाने में अपने आप को असमर्थ पाते हैं । कभी कभी संसार में घटित होने वाली घटनाओं को देखकर भगवान की कृपा, दयालुता और अपने भक्तों के कल्याण हेतु उनकी वचनबद्धता पर संदेह भी अच्छे -अच्छे ज्ञानियों तक को होने लगता है।हम संसार में देखते हैं कि जो लोग निरंतर बुरे कर्म में लिप्त होते हैं उनके पास भौतिक सुख के साधनों, परिवार एवं अन्य सुहृदजन की बहुलता होती है और जो सच्चाई एवं भगवान पर श्रद्धा एवं विश्वास रखने वाले लोग हैं उन्हें जीवन भर अभाव एवं दुख ही भोगते देखा जाता है।
महाराज जी ने आगे कहा कि कर्म हमारे साथ एक ही नहीं अनंत जन्मों तक साथ रहते हैं, कुछ का फल हम तत्काल पा जाते हैं,कुछ का कालांतर में तो कुछ का इस जन्म में नहीं अपितु आगे के जन्मों में ।जिन कर्मों का फल हम अपने वर्तमान जीवन में नहीं भोग पाते वही प्रारब्ध एवं संचित कर्म के रुप हमारे अगले अनेक जन्मों में हमारी छाया की तरह साथ साथ चलते हैं और इन्हीं अदृश्य कर्मो के फलस्वरूप कभी ऐश्वर्य का मिलना होता है तो किसी किसी के जीवन में दरिद्रता और दुख दृष्टिगोचर होता है। भगवान ने मनुष्य को बनाया तो जरूर लेकिन उसको कर्म की स्वतंत्रता दे दिया है ।