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फीता काट प्रचार वाहन को किया गया रवाना

गाजीपुर। सदर विधायक डा0 संगीता बलवन्त, जिलाधिकारी एम0पी0 सिंह, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद सरिता अग्रवाल एवं अन्य अधिकारियों के उपस्थित मे विधायक द्वारा फीता काटकर प्रचार वाहन को रवाना किया गया।

इस प्रचार वाहन के माध्यम से जनपद के किसानो को जागरूक कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओ कीटों के हमलों या अप्रत्याशित घटनाओं के परिणाम स्वरूप फसल के नुकसान/विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा सुरक्षा और वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस तरह, यह योजना किसानों को आर्थिक स्थिरता प्रदान कर रही है। और उन्हें नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके खेती मे निरंतरता सुनिश्चित कर रही है। इस योजना से बटाईदार और काश्तकार सहित सभी कृषक अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलों को उगाने के लिए करवरेज के पात्र हैं। हालांकि, कृषकों को अधिसूचित/बीमित फसलों के लिए बीमापात्र हित होना चाहिए। ऋणदाता कृषकों सहित सभी कृषकों के लिए इस योजना को स्वैच्छिक बनाया गया है ।

सभी कृषक जिन्होंने अधिसूचित फसल के लिए किसी भी वितीय संस्थान (सहकारी बैंको, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, वाणिज्यिक बैंकों, निजी बैंकों अदि ) से मौसमी कृषि संचालन ऋण/लोन लिया है और उन्होने कट आफ डेट से 7 दिन पहले योजना के ऑप्ट आउट का विकल्प नहीं चुना है, अपने वित्तीय संस्थानों के स्कीम के तहत नामांकन के लिए पात्र होगें। फसल के जोखिम के निम्न चरणों की योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। बुवाई/रोपाई के जाखिमों से बचाव बीमित क्षेत्र को प्रतिकूल मौसम दशाओं के कारण बुआई/रोपाई के जोखिम से सुरक्षित रखा जाता है। फसल पैदावार के आधार पर व्यापक आपदा के मामले में राज्य सरकार उत्पादन अनुमानों तथा फसल बीमा दोनों के लिए फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर क्षति का बीमा देय होगा। फसल कटाई/तुड़ाई के बाद की हानियाँ जिन फसलों को फसल कटाई के पश्चात खेत में फैलाना और सुखाना पहता है उन्हें ओलावृष्टि, चक्रवाती बारिश और बेमौसम बरसात के विशेष आपदाओं के विरुद्ध फसल कटाई के पश्चात केवल 2 हफ्तों के अधिकतम अवधि के लिए संरक्षण उपलब्ध है। कृषक द्वारा प्रभावित होने के 72 घंटों के भीतर बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर या संबंधित बैंक, स्थानीय कृषि विभाग/ सरकारी अधिकारियों के माध्यम से दावा सूचना दी जा सकती है। स्थानीय आपदा ओलावृष्टि, भूस्खलन, जलभराव, बादल फटना तथा आकाशीय बिजली के कारण प्राकृतिक आग के पहचाने गए स्थानीय जोखिमों के घटित होने के फल स्वरूप हानि/क्षति। कृषक द्वारा प्रभावित होने के 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर या संबंधित बैंक, स्थानीय कृषि विभाग/ सरकारी अधिकारियों के माध्यम से दावा सूचना दी जा सकती है। योजना में सम्मिलित होने के लिए अनिवार्य दस्तावेज आधार कार्ड की प्रति, पूर्णतः भरा हुआ प्रस्ताव फॉर्म , नवीनतम खसरा/खतौनी आदि की प्रतिलिपि, कृषक द्वारा स्वघोषित बुवाई प्रमाण – पत्र, किरायेदार किसानों के लिए लागू अनुबंध/समझौते के लिए शपथ पत्र की प्रति, IFSC नंबर और बैंक खाता संख्या या रद्द किए गए चेक, बैंक पासबुक की प्रति। आपदा का व्यापक फैलाव (मौसम की समाप्ति पर पैदावार के आधार पर) एरिया एप्रोच के आधार पर संचालित होता है और दावे की गणना राज्य सरकार द्वारा किये गए फसल कटाई प्रयोग के आधार पर की जाती है। दावों का ‘ऑन अकाउंट‘ भुगतान यह उस फसल के लिए लागू होता है जहाँ मौसम में अपेक्षित पैदावार 50 प्रतिशत होने की संभावना होने पर यह प्रावधान राज्य सरकार द्वारा प्रॉक्सी इंडीकेटर्स जैसे की बरसात के आँकड़े, मौसम संबंधी अन्य आँकडे, उपग्रह से प्राप्त चित्रों के आधार पर क्षति की अधिसूचना के द्वारा किया जाता है। सामान्य फसल कटाई/तुड़ाई प्रारम्भ होने से 15 दिनों के पूर्व में प्रतिकूलता घटित होने पर प्रावधान लागू नहीं होगा। प्रावधान लागू होने पर अधिकतम देय राशि संभावित दावों की 25 प्रतिशत के समान होती है। बचाव/विफल बुआई/रोपाई/अंकुरण के दावे यह व्यापक घटना के कारण सामान्य बुआई क्षेत्र बीमा इकाई (ग्राम पंचायत) का 75 प्रतिशत से अधिक फसल के प्रभावित होने के लिए है। यह प्रावधान राज्य सरकार द्वारा प्रॉक्सी इंडीकेटर्स जैसे की बरसात के आँकड़े, मौसम संबंधी अन्य आँकड़े, उपग्रह से प्राप्त चित्रों के आधार पर क्षति की अधिसूचना के द्वारा किया जाता है। बीमा होने के पूर्व प्रतिकूलता होने पर प्रावधान लागू होता है। प्रावधान नियत तिथि के भीतर लागू होंगे। दावों का भुगतान प्रावधान लागू होने तथा योजनानुसार सब्सिडी की प्राप्ति के बाद 30 दिनों के अंदर कर दिया जाएगा। फसल कटाई/तुड़ाई के बाद की हानियाँ/स्थानिय जोखिम इसका संचालन अलग व्यक्तिगत जमीन के आधार पर किया जाता है। आपदा होने पर बीमाधारक द्वारा तुरंत या 72 घंटों के अंदर सूचना दी जानी चाहिए। सूचना में बीमित फसल और प्रभावित क्षेत्र का विवरण होना चाहिए।