मतसा (ज़मानियाँ)। श्री आदर्श रामलीला समिति मतसा के तत्वावधान में चल रहे रामलीला में मंगलवार की रात्रि मारिच वध कर राम लक्ष्मण कुटिया में पहुँचे तो माता जानकी वहाँ नहीं मिली जिनकी खोज में दोनों भाई जंगल में खोजते खोजते किष्किंधा राज्य के निकट ऋषिमुख पर्वत जा पहुंचे वहाँ उनकी मुलाकात साधु वेषधारी हनुमान जी से हुई अपने सम्मुख भगवान को पाकर हनुमान भाव विह्वल होकर उनके चरणों मे गिर पड़े। अपने प्राणों से प्रिय भक्त को देख प्रभु भी उनको गले से लगाते हुए भाव विभोर हो गए।
हनुमान जी ने राम शुग्रीव की मित्रता कराई और प्रभु के जंगल विचरण का कारण पूछा तब राम-लक्ष्मण ने सीता जी के लापता होने का सारा वृतांत हनुमान जी को कह सुनाया वहीं राम ने सुग्रीव से गुफ़ा निवास का कारण जानना चाहा तो सुग्रीव ने बताया कि मेरे बड़े भाई ने मेरी पत्नी मेरा राज पाठ सब कुछ छीन लिया हैं मैं अपनी जान बचाकर अपने इष्ट मित्रों संग इसी पर्वत पर गुफ़ावो में जीवन व्यतीत कर रहा हूं। ऋषि मतंग शार्प के कारण बाली इस पर्वत पर नहीं आ सकता था। राम ने सुग्रीव को उनका राज्य औऱ पत्नी वापस दिलाने का भरोसा दीया राम ने बाली का वध कर सुग्रीव का राज तिलक अंगद को युवराज बनाया।
रिपोर्ट- सुशील कुमार गुप्ता