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मंत्रद्रष्टा महर्षि पराशर की मनाई गई जयंती

गहमर(गाजीपुर)। स्थानीय गांव स्थित पूर्वांचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कामाख्या धाम पर बुधवार को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को कलियुग के संविधान निर्माता एवं मंत्रद्रष्टा महर्षि पराशर जी की जयंती परंपरागत ढंग से मनायी गयी। सर्व प्रथम उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया तथा विधिवत् वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन – हवन संपन्न हुआ।

पराशर गोत्रीय वंशजों ने उनके कृत्यों पर विस्तार से चर्चा की तथा जग- परोपकारी,संपूर्ण सृष्टि के उद्धारक एवं मार्गदर्शक के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। वक्ताओं ने कहा कि यदि पराशर जी नहीं होते तो वेदव्यास जी भी नहीं होते, जो कि नारायण के अंशावतार हैं। ऐसी स्थिती में वेद- पुराण- महाभारत , गीता जैसे शाश्वत् ग्रंथ हम मानवों को नहीं मिलते। अत: यह सृष्टि और सम्पूर्ण मानव जाति उनका चिरऋणी है।
उक्त अवसर पर पंडित राम प्रकाश जी, रजनी उपाध्याय,विद्या उपाध्याय, आलोक उपाध्याय,श्रीराम पांडेय मुन्ना, छूरी पांडेय,रमा शंकर उपाध्याय चुनमुन उपाध्याय, दयानंद उपाध्याय आदि लोग उपस्थित रहे।