जमानियाँ। दीपावली पर्व पर नगर सहित ग्रामीण इलाके रंग-बिरंगी झालरों व मिट्टी के दीपक की रोशनी से ऐसे जगमगा रहे थे मानों धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। चारों तरफ उल्लास व उत्साह दिखाई दिया।
प्रकाश पर्व को लेकर सुबह से शाम तक ग्राहकों की आवाजाही से स्थानीय बाजार गुलजार रहा। परंपरागत मिट्टी का दिया, खिलौना, पूजन सामग्री आदि से बाजार सजा हुआ था तो दूसरी और मोमबत्ती और झालरों की जगमगाहट बाजार की चमक को बढ़ा रही थी।
बाजार में जगह-जगह गणेश-लक्ष्मी की विभिन्न रंग-रूपों वाली मूर्तियां खूब बिक रही थी। लोग पूजा सामग्री के साथ-साथ जरूरत की प्रत्येक सामानों को खरीदते नजर आये। मिट्टी के दीपक व मोमबत्ती को लोग खरीदते नजर आये तथा मिठाई की दुकान पर देर शाम तक ग्राहकों की भीड़ लगी रही। लेकिन महगाई का असर खरीदारों पर स्पष्ट दिखाई दे रहा था। खुबसूरत रंगोली बनाकर महिलाएँ व बच्चीयों ने घरों को चार चॉद कर दिया था। शाम होते ही बच्चें परिजनों संग अनार, फुलझरी, चर्खी आदि पटाखा के साथ खेलते नजर आये।
मान्यता है कि भगवान राम चौदह वर्ष की वनवास को पूरा करने के पश्चात दीपावली के दिन ही लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्रीराम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की रात्री दीपों की रोशनी से जगमगा उठी थी।