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सम्बन्ध जोड़ने के लिए मध्यस्थ की भूमिका अहम होती है-शिवजी महाराज

मतसा(गाजीपुर)। स्थानीय क्षेत्र के रघुनाथपुर में आयोजित मानव धर्म प्रसार प्रवर्तन समाजसेवी शाखा के 35 वॉ वार्षिक सम्मेलन में आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन कथावाचक शिवजी महाराज ने कहा कि संसारिक मोह-माया की दुनिया हो, चाहे अध्यात्म का क्षेत्र, सम्बंध जोड़ने के लिए किसी मध्यस्थ की भूमिका अहम होती है।

रामायण जी के शिव विवाह और राम विवाह के प्रसंग का दृष्टांत सुनाकर कहा कि पार्वती जी ने शिवजी को पसंद किया जरुर लेकिन नारद जी की मध्यस्थता के कारण ही शिव पार्वती का विवाह हो पाया उसी प्रकार रामजी और सीताजी एक दूसरे को पसंद तो करते हैं लेकिन गुरु विश्वामित्र की अनुमति और दोनों के माता पिता की सहमति के पश्चात ही रामजी एवं सीताजी का विवाह सम्पन्न हो सका। संत दया रामदास ने कहा कि आध्यात्मिक सम्बंध को भी परमात्मा के साथ जोड़ने के लिए किसी सदगुरू की जरूरत पड़ती है,और जब जीव को योग्य गुरु मिलता है तो वह उसका संबंध भगवान के साथ जोड़ देता है। आजकल के युवा भी रामकथा के इन प्रसंगों से शिक्षा लें और माता पिता और योग्य मध्यस्थ के माध्यम से ही विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णय को क्रियान्वित करें। रामकथा जीवन के हर पहलू और समस्या की कुंजी है, कथा में पं नीरज शास्त्री ने कहा कि जिस जीव को मां के चरणों में भगवान का दर्शन नहीं हुआ वह मंदिर में घूमते रह जाएगा कभी भगवान का दर्शन नहीं होगा इस धरती पर साक्षात माता पिता देवता के समान है इनका अगर तिरस्कार हुआ तो मंदिर में बैठे पत्थर के देवता का कितना भी पूजा कर ले कल्याण नहीं कर सकते कथा में चंदेश महाराज आरती पाठक आदि ने अपने विचार रखे कथा मंच का संचालन समिति रुक से विजय यादव व सुखपाल महाराज ने की आदर्श रामलीला की तरफ से रात में रामलीला का मंचन हुआ जिसमें सैकड़ो लोगो ने भाग लिया।