मतसा(गाजीपुर)। सब्बलपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में बावन अवतार का प्रसंग कथावाचक चन्द्रेश महाराज ने सुनाया उन्होंने बताया की प्रभु बड़े ही दयालु और घमंड करने वालों को धर्म की राह दिखाकर उनका घमंड चकना चूर करते हैं।
भागवत कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने इंद्र का देवलोक में अधिकार पुनः स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। असुर राजा बली ने देवलोक हड़प लिया था बली विरोचन के पुत्र तथा प्रह्लाद के पौत्र थे और एक दयालु असुर राजा के रूप में जाने जाते थे। बामन एक बौने का ब्राह्मण के वेश में बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने को आग्रह किया। राजा बलि ने बामन को वचन दिया था भगवान बामन ने अपना आकर इतना बढ़ा लिया कि पहले ही कदम में पूरी पृथ्वी को नाप लिया दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया। वचन के पक्के बली ने तब वामन को तीसरा कदम रखने के लिए अपना सिर पेश कर दिया था उसकी दान शीलता को देखकर भगवान उनसे इतना प्रसन्न हुए की उनके घर पर द्वार पाल की नौकरी करने के लिए तैयार हो गए थे। भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए उन्होंने कहां की दान करने से न कभी धन की कमी होती हैं और न ही मनुष्य के जीवन मे कभी दरिद्रता आती हैं। दान करने की कोई सीमा नहीं होती मनुष्य को अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीब और असहाय लोगों की सदैव मदद करनी चाहिए। इस दौरान भगवान विष्णु के बिभिन्न रुपों का विस्तार से वर्णन किया। इसके साथ उन्होंने कहाँ की भागवत सभी प्राणों का तिलक हैं।