मतसा (गाजीपुर)। सब्बलपुर रामलीला मैदान में धनुष यज्ञ मेला के दौरान आयोजित त्रिदिवसीय के दूसरे दिन की कथा में गृहस्थ संत बुच्चा जी ने कहा कि वेद शास्त्र में और लोक में भी परोपकार की बड़ी महत्ता कही सुनी जाती है।
रामजी अयोध्या नरेश दशरथ के प्राणप्रिय पुत्र थे लेकिन उन्होंने एक मांसभक्षी अधम कहे जाने वाले गिद्ध की अंतिम क्रिया तो अपने हाथ से किये और उसको अपना परमधाम प्रदान किया, क्योंकि एक अबला को बचाने के लिए गिद्धराज जटाऊ ने उस समय के दुर्दांत आततायी से संघर्ष किया। भले इस पुण्यकर्म में उनको अपने प्राण ही गंवान पडे़। वही चन्द्रेश महाराज ने बताया कि भारत में श्री राम अत्यन्त पूजनीय है और आदर्श पुरूष हैं तथा थाईलैंड इण्डोनेशिया आदि देशों के अतिरिक्त कई देशों में भी आदर्श के रूप में भी पूजे जाते है आज जरुरत है कि देश का हर व्यक्ति श्री राम के आदर्श को अपने जीवन में अपनाए तथा श्री राम के परिवार की तरह एक आदर्श परिवार की स्थापना करे महाराज जी ने बताया कि राम ने लंका के राजा रावण जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था का बध किया श्री राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में है श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य मित्र माता पिता यहाँ तक की पत्नी काभी साथ छोड़ा इनका परिवार भारतीय परिवार मर्यादा का प्रतिनिधित्व करता है राम रघुकुल में जनमे थे पिता के बचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से 14वर्ष का बनवास शिवकार किया। इस सम्मेलन में राधेश्याम चौबे, महेन्द्र दास, कैलाश यादव और भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने भी कथा अमृत पान कराया। कथामंच का संचालन विनोद श्रीवास्तव एवं रामदत्त यादव ने संयुक्त रूप से किया
रिपोर्ट-सुशील कुमार गुप्ता