जमानियाँ (गाजीपुर)। क्षेत्रीय किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अन्नदाता धान बेचने के लिए परेशान व लाचार दिख रहा है तथा साइबर से लेकर क्रय केन्द्रों का चक्कर लगा-लगा कर टोकन न मिलने का रोना रो रहे है लेकिन तॉरनहार कोई नही बन रहा है।
क्रय केंद्र प्रभारियों की हड़ताल के बाद जब खरीद शुरू भी हुई है तो किसानों को टोकन नहीं मिल पा रहा है। 10 बजे वेबसाइट खुलने के मात्र दो मिनट बाद ही टोकन खत्म हो जा रहा है तथा कुछ देर बाद वेबसाइट पर माइनस दिखा रहा है। जो किसानों व कम्प्यूटर संचालकों के समझ से बाहर है। ऐसी स्थिति में किसान टोकन के लिए साइबर का चक्कर लगा रहे है लेकिन इस हाड़कंपाती ठंड व कोहरे में निराशा ही हाथ लग रही है। यह स्थिति रोज ही हो रही है।
धान बेचने के लिए किसान चारों तरफ परेशान दिख रहे है उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे क्या करें। किसान इस समस्या से निजात पाने के लिए विधायक व आला अधिकारीयों के यहाँ तक गुहार लगा चुके लेकिन अभी तक इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस उपाय नही किया जा रहा है जिससे किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है। किसानों ने आरोप है कि शासन-प्रशासन जानबूझ कर परेशान कर रहा है ताकी मजबूर होकर किसान औने-पौने दाम में धान को बिचौलियों को बेच दे। ज्ञात हो कि क्षेत्र में धान खरीद के लिए 27 केन्द्र बनाए गये है। जिसमें खाद्य विभाग के 8, पीसीएफ के 2, पीसीयू के 15, यूपीएसएस के 2 केन्द्र बनाए गये है। क्षेत्रीय किसान श्यामनरायण सिंह, काशीनाथ सिंह, राजेन्द्र सिंह, रामअवतार, मनीष, मनोज आदि ने बताया कि सरकार के धान खरीद के नये नियम से काफी परेशानी हो रही है। पहले बटाईदार का धान खरीद बन्द हुआ तथा ये निर्देश हुआ कि ऑनलाइन टोकन पर खरीद होगी। टोकन लगवाने के बाद फिर टोकन को निरस्त कर दिया तथा बीच में हड़ताल हुआ। अब टोकन के लिए साइबर का चक्कर लगाना पड़ रहा है लेकिन लाख उपाय के बाद भी निराशा ही हाथ लग रही है। दो मिनट में ही पूरा समाप्त हो जा रहा है। रेलवे के तत्काल टिकट से भी कम समय में टोकन समाप्त हो जा रहा है। ऐसे में धान बेचना लोहे के चने चबाना साबित हो रहा है। काफी मसक्कत के बाद कुछ टोकन मिल भी रहा है तो केन्द्र प्रभारियों द्वारा प्रति कुन्तल छः किलो की कटौती की जा रही है। ऐसे में खेती करना जी का जंजाल बन गया है। एएमओ शैलेश यादव से वार्ता करने की कोशिश की गई लेकिन उनका मोबाइल नेटवर्क से बाहर बता रहा था।